गुरुवार को कर्क लग्न में पूर्वाह्न 11 बजे द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट विधि-विधान के साथ श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। इसके बाद अब छह माह तक धाम में ही आराध्य की पूजा होगी।
बाबा मद्महेश्वर की चल उत्सव विग्रह डोली अपने अंतिम रात्रि प्रवास के लिए गौंडार गांव पहुंच गई थी।
बीते बुधवार को सुबह 5 बजे से राकेश्वरी मंदिर रांसी में मद्महेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग ने भगवान मद्महेश्वर का अभिषेक कर भोग लगाया और मां राकेश्वरी के साथ भगवान मद्महेश्वर की संयुक्त आरती उतारी। इसके उपरांत डोली ने राकेश्वरी मंदिर की परिक्रमा के बाद अपने धाम के लिए प्रस्थान किया।
ग्रामीणों के साथ प्रधानाध्यापक दीपक रावत एवं रामदत्त गोस्वामी के नेतृत्व में छात्र-छात्राओं ने डोली का भव्य स्वागत किया। इस मौके पर गौंडार गांव के प्रधान वीर सिंह पंवार, डोली प्रभारी दीपक पंवार, मनीष तिवारी, पवन गोस्वामी, शिव प्रसाद, जय प्रकाश राणा आदि मौजूद थे।
चतुर्थ केदार रुद्रनाथ मंदिर के कपाट भी गुरुवार को वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ विधी विधान से ब्रह्म मुहूर्त में पांच बजे खोल दिए गए हैं। रुद्रनाथ मंदिर को चारों ओर से गेंदे के फूलों से भव्य सजाया गया है। उच्च हिमालय क्षेत्र में स्थित रुद्रनाथ मंदिर बुग्यालों के मध्य स्थित है।
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