मुख्यमंत्री धामी के लिए डीडीहाट विधायक का सीट न छोड़ने का ऐलान।

उत्तराखंड

देहरादून:- डीडीहाट से विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल धामी मंत्रिमंडल में जगह न मिलने से खुलकर नाराजगी जता चुके हैं। इतना ही नहीं चुफाल ने धामी के लिए सीट छोड़ने से इनकार कर दिया है। अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए नई सुरक्षित सीट की तलाश शुरू हो गई है।हार के बाद छह विधायकों ने धामी के लिए अपनी सीट खाली करने की पेशकश की है।

मंत्री न बनने से नाराज हैं डीडीहाट विधायक चुफाल

23 मार्च को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने 8 मंत्रियों के साथ शपथ ली। धामी के नए मंत्रिमंडल में 3 पुराने चेहरों को हटाया गया है। जिसमें ​डीडीहाट से विधायक बिशन सिंह चुफाल का नाम भी है। चुफाल मंत्रिमंडल में नाम न होने से नाराज भी नजर आ रहे हैं। जिसको लेकर वे नाराजगी भी जता चुके हैं। चुफाल का कहना है कि उनके मंत्री न बनने से क्षेत्र के कार्यकर्ता नाराज हो गए हैं। चुफाल के मंत्री न बनने के पीछे की वजह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का डीडीहाट सीट से चुनाव लड़ने की सियासी मायने तलाशे जाने लगे थे। लेकिन चुफाल ने विधायकी सीट छोड़ने से इनकार कर दिया है। उन्होंनें कहा कि जनता और उनके कार्यकर्ताओं ने उन्हें चुनकर भेजा है। ऐसे में बिना कार्यकर्ताओं से चर्चा के वे न तो सीट छोड़ेंगे ओर नहीं छोड़ना चाहते हैं। चुफाल की नाराजगी से पार्टी के अंदर भी घमासान मचना तय है। चुफाल को राज्य सभा भेजने की चर्चा है। जिसको लेकर भी वे नाराजगी जता चुके हैं। चुफाल ये भी कह चुके हैं कि वे उन्हें न पार्टी और नहीं सीएम ने सीट छोड़ने की पेशकश की है। चुफाल की इस तरह की खुलकर नाराजगी पहली बार नहीं है। त्रिवेंद्र रावत सरकार में मंत्रिमंडल में जगह न मिलने से भी चुफाल नाराज रहे थे। वे देहरादून से लेकर दिल्ली तक अपनी नाराजगी जता चुके थे। त्रिवेंद्र के हटने के बाद चुफाल को तीरथ सरकार में मंत्री बनने का मौका मिला। इसके बाद वे धामी सरकार में भी मंत्री रहे। उन्हें पेयजल मंत्री बनाया गया था।

सीएम धामी के लिए इन 6 सीटों पर भी है विकल्प

इसके बाद अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए नई सीट तलाशनी होगी। डीडीहाट सीएम का गृ​ह क्षेत्र है। जिस वजह से धामी के लिए सबसे सुरक्षित सीट मानी जा रही थी। हालांकि हार के बाद छह विधायकों ने धामी के लिए अपनी सीट खाली करने की पेशकश की है। जो विधायक अब तक सीएम के लिए सीट छोड़ने की पेशकश कर चुके हैं, उनमें चंपावत से कैलाश गहतोड़ी, जागेश्वर से मोहन महरा, लालकुआ से डॉ मोहन सिंह बिष्ट, रुड़की से प्रदीप बत्रा और खानपुर से उमेश कुमार शामिल हैं। इन विधायकों का कहना है कि धामी ने सिर्फ छह महीने के कार्यकाल में सीएम के रूप में अपनी पहचान बनाई। वह राज्य की बेहतरी के लिए काम करना चाहते हैं। ऐसे में अगर खुद सीएम उनकी सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं तो उससे विधायक बनने के बाद उस क्षेत्र का विकास दोगुना गति से होना तय है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये होगा कि आखिर सीएम के लिए सबसे सुरक्षित सीट कौन सी होगी।

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