पितृ पक्ष हर साल आता है। साथ ही यह लगभग 16 दिन तक चलता है। इन दिनों में लोग अपने पूर्वजों के निमित्त तर्पण और श्राद्ध करते हैं। जिससे उनकी आत्मा को शांति प्राप्त होती है। इसके अलावा हमारे पूर्वज हमें आशीर्वाद देते हैं और हमारे जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करते हैं।
आपको बता दें कि देश में पितरों के श्राद्ध, व तर्पण के लिए काफी तीर्थ हैं, लेकिन इनमें से कुछ तीर्थ स्थान ऐसे हैं जिनका शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि इन तीर्थ स्थलों पर जाकर अपने पितरों का श्राद्ध और पिंडदान करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। साथ ही पितृों को मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इन तीर्थ स्थानों के बारे में.
यह स्थान उत्तराखंड के बद्रीनाथ तीर्थ के पास है। जहां दूर- दूर से लोग आकर पिंडदान और तर्पण करते हैं। पुराणों में इस बात का उल्लेख है कि ब्रह्मकपाल में श्राद्ध कर्म करने के बाद पूर्वजों की आत्माएं तृप्त होती हैं और उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है। साथ ही यहां पिंड दान और तर्पण करने से पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है।
गया श्राद्ध कर्म के लिए काफी पवित्र माना गया है। यह शहर बिहार राज्य में पड़ता है। साथ ही यह फल्गु नदी के किनारे बसा हुआ है। आपको बता दें कि पितृ पक्ष के दौरान हजारों की संख्या में लोग यहां आते हैं और अपने पूर्वजों के निमित्त पिंडदान और तर्पण करते हैं। मान्यता है यहां पिंडदान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही पितृों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
प्रयागराज जिसका पुराना नाम इलाहाबाद था। यहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का संगम होता है। पितृ पक्ष में यहां भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु पिंडदान करने आते हैं। मान्यता है कि अपने पूर्वजों का पिंडदान करने से मृत्यु के बाद आत्मा को जिन कष्टों से गुजरना पड़ता है। वह सभी कष्ट यहां पिंड दान करने से खत्म हो जाते हैं। इसलिए इस स्थान का विशेष महत्व है।
हरिद्वार शहर उत्तराखंड प्रदेश में स्थित है। इसकी गिनती बहुत धार्मिक शहरों में की जाती है। साथ ही यह गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है। मान्यता है कि गंगा नदी में स्नान करने से लोगों के पाप धुल जाते हैं। साथ ही शास्त्रों के अनुसार हरिद्वार में नारायण शिला पर पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही यहां पिंड दान और तर्पण करने से पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है।
उज्जैन शहर मध्यप्रदेश में स्थित हैं। यहां महाकाल का मंदिर है, जो द्वादश ज्योतिर्लिंग में आता है। साथ ही शिप्रा नदी के तट पर स्थित इस शहर में लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने और पिंडदान करने के लिए आते हैं। यहां पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मां को शांति मिलती है।