प्रदेश में पुलों की हिफाजत के लिए उनके एक किमी तक खनन पर रोक लगाने का शासन का आदेश चार दिन में ही रद्द कर दिया गया और नए आदेश में कहा गया कि चुगान नीति के तहत खनन हो सकेगा।
नीति में नदी पुल के अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम की 100 मीटर की दूरी पर ही चुगान व खनन की अनुमति है।
बता दें कि 15 सितंबर को प्रमुख सचिव लोनिवि ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किए थे कि पुलों के दोनों ओर एक-एक किमी तक खनन प्रतिबंधित होगा। यह आदेश उन्होंने लोनिवि के करोड़ों की लागत से बनाए गए पुलों को हो रहे नुकसान के मद्देनजर दिए। सूत्रों के मुताबिक, मानसून के दौरान ऐसे 32 से अधिक पुलों को नुकसान पहुंचा। जिसकी एक प्रमुख वजह पुलों के नजदीक खनन कार्य होना माना गया।
प्रमुख सचिव के आदेश से मची खलबली
प्रमुख सचिव के पुलों के दोनों ओर 1000 वर्ग मीटर में खनन पर रोक लगाए जाने के आदेश से खनन कारोबारियों में खलबली मच गई। सबसे अधिक झटका पर्वतीय क्षेत्र के लॉट लेने वाले कारोबारियों को लगा। मैदानी क्षेत्रों में भी कई खनन के कई लॉट प्रमुख सचिव के आदेश से प्रभावित हो रहे थे। साथ ही सरकार को खनन से प्राप्त होने वाले राजस्व की हानि की आशंका थी।
पलट दिया गया आदेश
सोमवार को प्रमुख सचिव ने 15 सितंबर को जारी आदेश को निरस्त करने का आदेश जारी किया है। इस आदेश में उन्होंने लिखा कि उन्हें यह स्पष्ट करने के निर्देश हुए हैं कि राज्य में पुलों के नजदीक खनन की कार्रवाई उत्तराखंड उपखनन चुगान नीति 2016 के अनुसार होगी।
अवैध खनन पर होगी कार्रवाई
आदेश में कहा गया कि पुलों के आसपास अवैध खनन के कारण पुलों के क्षतिग्रस्त होने की घटनाएं सामने आई हैं। नीति के तहत पुलों के आसपास होने वाले अवैध खनन के विरुद्ध भी नियमित कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
अब पुलों से 100 मीटर दूर होगा खनन
उत्तराखंड उप खनन चुगान नीति 2016 के तहत यह प्रावधान है कि नदी पुलों के पास 100 मीटर अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम की दूरी पर खनन कार्य हो सकेगा।