मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने कहा कि किसाऊ बांध बहुद्देश्यीय परियोजना (Kisau Project) की बढ़ने वाली लागत अन्य चार राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान को वहन करनी चाहिए।
जल घटक के स्थान पर विद्युत घटक पर बढ़ती लागत का बोझ नहीं पड़ने से राज्यवासियों को सस्ती दर पर बिजली की आपूर्ति की जा सकेगी। उन्होंने कहा कि यह परियोजना राज्य के विकास में मील का पत्थर साबित होगी।
नई दिल्ली में बुधवार को केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Union Jal Shakti Minister Gajendra Singh Shekhawat) की अध्यक्षता में किसाऊ परियोजना को लेकर हुई बैठक में धामी ने राज्य का पक्ष रखा। बैठक में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने वर्चुअल प्रतिभाग किया।
केंद्रीय जल आयोग ने मार्च, 2018 के मूल्य स्तर पर परियोजना की लागत 11550 करोड़ आंकी है। इसमें जल घटक की लागत 10013.96 करोड़ और विद्युत घटक की लागत 1536.04 करोड़ है। वर्तमान में संशोधित डीपीआर तैयार की जा रही है। इसमें परियोजना की लागत बढऩे का अनुमान है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि वर्ष 2008 में इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया। परियोजना विकास अवधि में स्थानीय निवासियों व ग्रामीणों की आय वृद्धि के विभिन्न संसाधन और स्थायी व अस्थायी रोजगार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध होंगे।
क्षेत्र के विकास व जन कल्याण को समय-समय पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग से लाभप्रद योजनाएं बनाई जाएंगी। इससे पलायन की समस्या पर काफी हद तक नियंत्रण किया जा सकेगा। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत ने कहा कि आज बैठक में उठाए गए बिंदुओं पर विचार-विमर्श कर शीघ्र ही अगली बैठक बुलाई जाएगी।
जल का तीन प्रतिशत उत्तराखंड को मिलेगा
किसाऊ परियोजना (Kisau Project) के क्रियान्वयन का कार्य उत्तराखंड एवं हिमाचल का संयुक्त उपक्रम किसाऊ कारपोरेशन लिमिटेड कर रहा है। यह एशिया की दूसरी सबसे बड़ी बांध परियोजना होगी। इसकी ऊंचाई 236 मीटर एवं लंबाई 680 मीटर होगी।
उत्तराखंड और हिमाचल की सीमा पर टौंस नदी पर प्रस्तावित इस परियोजना का बांध बनने से जल भंडारण का 93 प्रतिशत भाग हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली को मिलेगा। तीन-तीन प्रतिशत भाग उत्तराखंड और हिमाचल के हिस्से में आएगा।
बांध में 1324 एमसीएम जल भंडारण
उत्तराखंड में देहरादून जिले और हिमाचल में सिरमौर जिले में परियोजना स्थल चिह्नित किया गया है। बांध से 1324 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) जल भंडारण होगा। जिससे 97076 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई जल, 617 एमसीएम पेयजल व औद्योगिक उपयोग के लिए जल प्राप्त होगा। उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान की सिंचाई और दिल्ली की पेयजल आवश्यकता की पूर्ति हो सकेगी।
1379 एमयू बिजली का होगा उत्पादन
660 मेगावाट की इस परियोजना के लिए केंद्र से 90 प्रतिशत सहायता मिलेगी। इस परियोजना से डाउन स्ट्रीम की परियोजनाओं में भी विद्युत उत्पादन बढ़ने की संभावना है। बांध से 1379 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन होगा।
विस्थापित होंगे छह हजार लोग
किसाऊ परियोजना में बांध निर्माण से दोनों राज्यों की 2950 हेक्टेयर भूमि प्रभावित होगी। 17 गांवों के छह हजार से अधिक निवासी विस्थापित होंगे। राष्ट्रीय परियोजना का 10 प्रतिशत खर्च लाभार्थी राज्य उठाएंगे। विद्युत घटक लागत को उत्तराखंड व हिमाचल संयुक्त रूप से वहन करेंगे। बैठक में ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम व सचवि हरिचंद्र सेमवाल उपस्थित रहे।
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