श्रीनगर स्थित एनआईटी उत्तराखंड का तीसरा दीक्षांत समारोह धूमधाम से मनाया गया. दीक्षांत समारोह में 6 पीएचडी, 78 एमटेक सहित 483 डिग्रियां दी गईं. तो वहीं, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की छात्रा वत्सला शुक्ला को डायरेक्टर मेडल देकर सम्मानित किया.
एनआईटी उत्तराखंड का तीसरा दीक्षांत समारोह बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया. दीक्षांत समारोह में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को भी शामिल होना था. लेकिन वे किसी कारणवश श्रीनगर नहीं पहुच सकें. जिसके चलते उन्होंने कार्यक्रम में ऑनलाइन ही शिरकत की. उन्होंने ऑनलाइन ही एनआईटी के श्रीनगर कैंपस के ‘ए’ फेस का भी उद्घाटन किया, जिसमें एनआईटी के 200 से अधिक छात्र-छात्राओं के रहने की व्यवस्था की जाएगी. साथ में एनआईटी के ‘बी’ फेस के कार्यों का भी उन्होंने लोकार्पण किया.
आज आयोजित दीक्षांत समारोह में 6 पीएचडी, 78 एमटेक (वर्ष 2021 और 2022 उत्तीर्ण) और 399 बीटेक (वर्ष 2021 और 2022 उत्तीर्ण) छात्रों को मिलाकर 483 डिग्रियां दी गईं. बीटेक स्नातक बैच 2021 में उच्चतम सीजीपीए प्राप्त करने के लिए इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की छात्रा वत्सला शुक्ला को डायरेक्टर मेडल देकर सम्मानित किया. साल 2022 के लिए यह सम्मान मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के मोहित गुप्ता को प्रदान किया गया. दीक्षांत समारोह की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच की गई.
NIT उत्तराखंड का तीसरा दीक्षांत समारोह.
इस मौके पर एनआईटी के निदेशक प्रोफेसर ललित मार अवस्थी ने बताया कि उत्तराखंड के श्रीनगर परिसर में निर्माण कार्य को दो चरणों में विभाजित किया गया है, जिसकी कुल लागत लगभग 78.45 करोड़ है. निर्माण के पहले चरण में छह ब्लॉक हैं, जिनमें 530 छात्र बैठेंगे. द्वितीय चरण (जिसमें निदेशक, रजिस्ट्रार, डीन, क्लासरूम, इंडोर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स आदि के कार्यालयों का निर्माण शामिल है) के लिए, ड्राइंग को अंतिम रूप दे दिया गया है. निविदा का मसौदा तैयार किया जा रहा है.
उन्होंने बताया कि जल्द ही सुमाड़ी सहित श्रीनगर में एनआईटी के दो बेहतरीन कैंपस बन कर तैयार हो जाएंगे. एनआईटी उतराखंड के अध्यक्ष रवींद्र कुमार त्यागी ने प्रदेश सरकार से एनआईटी के लिए ऋषिकेश में एक छोटा केंद्र बनाने के लिए भूमि का आंवटन की मांग की, जिससे श्रीनगर में केंद्र खोल कर देश-विदेश की कंपनियों को छात्रों की प्लेसमेंट के लिए बुलाया जा सके. उन्होंने कहा कि अगर राज्य केंद्र सरकार की अनुमति इस केंद्र को बनाने की मिल जाती है, तो छात्रों को प्लेसमेंट की कोई दिक्कत नहीं उठानी पड़ेगी.
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