उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने विधानसभा सचिवालय के 250 कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर रोक लगा दी है. विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त किए गए लगभग 55 कर्मचारियों ने आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.
इसी पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी (Manoj Kumar Tiwari) की पीठ ने दोनों पक्षों से जवाब मांगा. वहीं कोर्ट ने सरकार को नए तरीके से भर्ती करने की छूट भी दी है.
आजतक से जुड़े लीला सिंह बिष्ट की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड विधानसभा भर्ती घोटाला (Uttarakhand Assembly Recruitment Scam) मामले में विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल को सस्पेंड किया गया था. वहीं 3 सितंबर को भर्तियों की जांच के लिए पूर्व प्रमुख सचिव डीके कोटिया की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय विशेषज्ञ जांच समिति बनाई गई थी.
इसी कमेटी की रिपोर्ट की सिफारिश पर 22 सितंबर को विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण ने 2016 में हुईं 150 भर्तियों, 2020 में हुईं 6 नियुक्तियों, 2021 में हुई 94 भर्तियों को रद्द कर दिया. अब कोर्ट ने इसी फैसले पर रोक लगाई है. साथ ही कोर्ट ने दोनों पक्षों से जवाब भी मांगा है.
‘बिना कारण बताए निकाला’
कर्मचारियों ने याचिका में कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने दावा किया कि लोकहित को देखते हुए उन्हें बर्खास्त किया जा रहा है. लेकिन किस कारण से निकाला जा रहा है, ये बर्खास्तगी के आदेश पर नहीं लिखा गया. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि बिना कोई कारण बताए, बिना सुनवाई के एक जैसे कई आदेश पारित किए गए और नौकरी से निकाल दिया गया.
वहीं कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कहा कि सभी नियुक्तियां अवैध रुप से की गई हैं. इनको सुनवाई का मौका नहीं दिया जा सकता है. इसके जवाब में याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने कहा कि इसी अदालत ने एडहॉक नियुक्तियों को सही माना था, तो कैसे बिना सुनवाई के इनको हटाया जा सकता है.
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