गन्ने से तैयार की जाती है मां लक्ष्मी की मूर्तिउत्तराखंड में खास है प्रकाशपर्व मनाने की परंपरा,

उत्तराखंड

Diwali 2022: आज प्रकाश उत्सव का महापर्व यानी दीपावली है। आज के दिन घर घर महालक्ष्मी की पूजा की जाती है। इसके लिए दिवाली में बाजार से लोग गणेश- लक्ष्मी की मूर्तियां खरीदते हैं।

इसमें भी लोग मिट्टी से बनी मूर्तियों को ज्यादा महत्व देते हैं। मगर उत्तराखंड के नैनीताल समेत कुमाऊं के अन्य जगहों पर मिट्टी की जगह लोग खुद से घर में गन्ने से मां लक्ष्मी की प्रतिमा बनाते हैं और फिर इसी मूर्ति की पूजा की जाती है।

ऐसे करतें हैं तैयार

गन्ने से बनी इस मूर्ति का विशेष महत्व होता है। इसके लिए लोग सुबह से मूर्ति बनाने में लग जाते हैं। पहले गन्ना खरीदकर लोग घर लाते हैं और फिर उसके तीन टुकड़े करते हैं। इसके बाद गन्ने के इस टुकड़े और केले के पत्ते की मदद से मां लक्ष्मी के मुखौटे या फिर नीबू का उपयोग कर मूर्ति बनाई जाती है। इसके बाद खूबसूरत कपड़ों, पिछौड़ा, गहने और मालाओं से मां की मूर्ति का श्रृंगार किया जाता है। शाम को शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी की इसी मूर्ति की पूजा की जाती है।

ये है मान्यता

मानस खंड और पुराणों में गन्ने को काफी शुभ और फलदायक माना जाता है। गन्ना मां लक्ष्मी को प्रिय भी है। इसी के चलते नैनीताल, अल्मोड़ा समेत कुमाऊं के पर्वतीय अंचलों में लक्ष्मी की मूर्ति गन्ने से बनाई जाती है। इसके अलावा शादी-विवाह, जनेऊ समेत अन्य कार्यों में भी गन्ने के पौधे को पूजने का विधान है। मान्यता है कि जिस घर मे लक्ष्मी बेहद खूबसूरत होती हैं, वह घर धन धान्य व सुख समृद्धि से परिपूर्ण होता है।

एक दूसरे के घर जाकर करते हैं दर्शन

दिवाली के दिन महालक्ष्मी की पूजा के बाद अगले दिन गोवर्धन पूजा व भैया दूज तक लोग एक दूसरे की लक्ष्मी देखने घर घर जाते हैं। तीन दिन बाद लक्ष्मी माता को भावभीनी विदाई दी जाती है। नदियों में इस प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। इस दौरान लोग भावुक हो जाते है।

 

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