दीपावली में वाहनो की खरीदारी से वाहनों की पूजा कराने के लिए सुबह से ही डाट काली मंदिर में लगी भीड़, नौ शक्तिपीठों में से है एक

देहरादून/मसूरी

जब कोई व्यक्ति अपने जीवन में कुछ नया शुरू करता है या फिर वाहन खरीदता है तो डाट काली मंदिर जरूर जाता है। शहर से सात किमी दूर स्थित इस मंदिर में शनिवार और रविवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।

डाट काली मंदिर को मां काली के चमत्कारी शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है जो माता सती के नौ शक्तिपीठों में से एक है।

देहरादून और सहारनपुर बॉर्डर पर स्थित इस मंदिर में यूं तो रोज श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है लेकिन शनिवार को मां डाट काली को लाल फूल, लाल चुनरी और नारियल चढ़ाने का विशेष महत्व है। कहते हैं कि ऐसा करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। मंगलवार, बृहस्पतिवार और शनिवार को मंदिर में मां के भक्त विशाल भंडारा करते हैं। जब भी कोई व्यक्ति नया वाहन लेता है तो सबसे पहले वाहन लेकर विशेष पूजा-अर्चना के लिए मां के दरबार में पहुंचता है। पिछले दो दिनों से यहां नए वाहनों की कतार लग रही है।

कहते हैं उनके वाहन में लगी मां की चुनरी हमेशा वाहन और वाहन चालक की रक्षा करती है। यही वजह है कि मंदिर के पास अक्सर नई गाड़ियों की कतार लगी रहती है। मंदिर के महंत रमन प्रसाद गोस्वामी कहते हैं कि मां डाट काली उत्तराखंड सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ईष्ट देवी हैं। रोज मां के दर्शन के लिए सैकड़ों श्रद्धालु आते हैं और सबकी मनोकामना पूरी होती है।

इस तरह अस्तित्व में आया मंदिर
मंदिर के निर्माण की कहानी भी बेहद रोचक है। कहते हैं कि वर्ष 1804 में देहरादून-दिल्ली हाईवे पर सड़क निर्माण में लगी कार्यदायी संस्था सुरंग का निर्माण कर रही थी। लेकिन, दिन में जितनी सुरंग खोती जाती थी, वह टूट जाती थी। इससे कंपनी के अधिकारी परेशान हो गए। पहले मां डाट काली को मां घाठेवाली के नाम से जाना जाता था। कहते हैं कि मां घाठेवाली ने महंत के पूर्वजों के सपने में आकर सुरंग निर्माण स्थल पर उनकी मूर्ति स्थापना की बात कही थी। कार्यदायी संस्था ने ऐसा ही किया। इस तरह मां डाट काली का मंदिर अस्तित्व में आया। शनिवार को यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है। इसमें हजारों श्रद्धालु अपनी मुराद लेकर मां के दरबार में पहुंचते हैं। उन्होंने बताया कि ये एक मनोकामना सिद्ध पीठ है। यहां लगभग 100 वर्षों से एक दिव्य ज्योत जल रही है।

सुबह पांच बजे से लगी वाहनों की कतार
धनतेरस पर वाहन खरीदकर लोग रविवार सुबह पांच बजे से ही पूजन के लिए डाट काली मंदिर पहुंच गए। यहां नए वाहनों की कतारें लग गईं। देहरादून के अलावा भी अन्य क्षेत्रों के लोग भी यहां अपने वाहन लेकर यहां पूजा करने पहुंचे। भीड़ का आलम यह था कि सुरंग के बाहर तक गाड़ियों की लाइन लग गई। माता के दर्शन करने लिए भक्तों को एक घंटे से अधिक समय तक इंतजार करना पड़ा। महंत रमन प्रसाद गोस्वामी ने बताया कि शाम तक 200 से अधिक वाहनों के लिए पूजा करा चुके हैं।

 

Social Media Share