उत्तराखंड में बनने वाले रेलवे स्टेशन चारों धामों के साथ गढ़वाल के विख्यात मंदिरों के रूप और आकार में बनने के बाद यात्रियों को अपनी ओर करेंगे आकर्षित : अजीत कुमार यादव
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग मेगा रेल प्रोजेक्ट के अंतर्गत कुल 41 सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है। इसमें से 40 का कार्य तेज गति से चल रहा है। इसके तहत कुल 12 स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इस विशेष परियोजना के तहत बनाए जाने वाले रेलवे स्टेशनों की खास बात यह होगी कि इन्हें बद्री-केदार ,गंगोत्री ,यमुनोत्री के साथ राज्य के विख्यात मंदिरों की तर्ज यानी रूप और आकार में बनाए जाएंगे, जो उत्तराखंड आने वाले यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करेंगे।
यह जानकारी रेल विकास निगम के मुख्य परियोजना प्रबंधक अजीत कुमार यादव ने गुरुवार को आरवीएनएल के मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में दी। उन्होंने बताया कि यह परियोजना कुल 125 किलोमीटर लंबी होगी, जिसमें 12 स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा, जिसकी लागत लगभग 16000 करोड़ की है। उन्होंने बताया कि इस परियोजना में देश सहित विदेश की तकनीकी का इस्तेमाल किया गया है। इसके अंतर्गत आज भी विदेशी वैज्ञानिकों की देखरेख में तेजी के साथ कार्य किया जा रहा है, जिससे उनका कार्य संतोषजनक होने के साथ सुरक्षा की दृष्टि से सभी मानकों पर खरा उतरा है।
मुख्य परियोजना प्रबंधक अजीत कुमार ने बताया कि इस परियोजना के अंतर्गत कुल 41 सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है। इसमें से 40 का कार्य तेज गति से जारी है। इसमें एक सुरंग मरोड़ा में निर्माण के दौरान हुए भूस्खलन के चलते उसके कार्य को रोक दिया गया है, जिस पर सर्वे का कार्य दोबारा किया जा रहा है। इसके अंतर्गत यह भी देखा जा रहा है कि यदि डिजाइन में कोई परिवर्तन करना होगा तो उसे भी किया जाएगा
उनका कहना था कि इस गांव में सर्वे किया जा रहा है और 35 प्रतिशत कार्य पूरा भी कर लिया गया है, जिसके अंतर्गत गांव वालों को शीघ्र मुआवजे की राशि दी जा रही है। यह जिलाधिकारी के माध्यम से दी जाएगी।उनका कहना था कि इस कार्य में देश की सभी विख्यात सर्वे करने वाली एजेंसी की सहायता भी ली गई है, जिसके अंतर्गत मानवीय दृष्टि से को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण भूकंप जैसे प्राकृतिक आपदाओं पर भी गंभीरता से विश्लेषण कर कार्य को आगे बढ़ाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि उनका निर्माण कार्य ऋषिकेश से अभी फिलहाल कर्णपयाग तक ही चल रहा है। भविष्य में चार धाम को जोड़ने के लिए गंगोत्री यमुनोत्री -केदारनाथ- बद्रीनाथ में सर्वे का कार्य किया जाएगा है जबकि गंगोत्री- यमुनोत्री में सर्वे का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। इस कार्य में पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण ब्लास्टिंग पर भी वैज्ञानिकों ने गंभीरता पूर्वक मंथन कर अपनी राय दी है। इसमें विशेषज्ञों की भी राय ली गई है। उन्होंने बताया कि धनबाद में होने वाली सबसे अधिक माइनों में ब्लास्टिंग को देखते हुए वहां के वैज्ञानिकों को भी इस परियोजना में शामिल किया गया है।
मुख्य परियोजना प्रबंधक ने बताया कि जोशीमठ में जो पहाड़ हैं, वह सीधे खड़े हैं, जबकि बाकी जगह पर पहाड़ ढलान वाले हैं। हम जोशीमठ से पहले 80 किलोमीटर की दूरी पर कार्य कर रहे हैं, जिसका प्रभाव जोशीमठ में हो रहे भू धंसाव पर नहीं पड़ेगा। उनका कहना था कि कार्य की प्रगति तेजी पर है, जिसमें पहला फेस वीरभद्र से ऋषिकेश तक था। इसे विगत 20 मार्च 2020 को पूरा कर लिया गया है। अगले फेस में 2024 तक इस कार्य को समाप्त कर दिया जाएगा।
पत्रकार वार्ता में पूरी परियोजना का डेमो भी दिखाया गया। इस दौरान परियोजना प्रबंधक ओपी मालगुडी और भूपेंद्र सिंह भी मौजूद थे।