जब हम बड़े होते हैं तो हमें सभ्यता के पैबंद में सबसे पहली चीज सिखाई जाती है सम्मान. दूसरों का सम्मान कीजिए और खुद के लिए सम्मान अर्जित कीजिए. सम्मान पाने की कड़ी का पहला पड़ाव होता है आत्मसम्मान.
मान शब्द यहां की-वर्ड है. इसी से बनता है मानचित्र. देश का मानचित्र देखने के कई नजरिए हो सकते हैं, आप पर्यटक हैं तो हिमालय की चोटी से लेकर कन्याकुमारी को जोड़ती एक लकीर नजर आएगी. आप नेता हैं तो मानचित्र पर उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक की सरकारें और राजनीति नजर आएगी. लेकिन आप युवा हैं तो इसी मानचित्र पर एक लाठी नजर आएगी. लाठी जो खून से सनी है. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की तस्वीरें ताजा हैं, मगर ये लाठी गाहे-बगाहे हर राज्य में नजर आ ही जाती है,जिसकी चटक में युवाओं की चमड़ियां चिपकी हुई है. कर ली होगी हिंदुस्तान ने बहुत तरक्की, तकनीक भी हमारी दुनियाभर में तारी है. लेकिन एक अदद भर्ती परीक्षा आज भी बिना लीक के हिंदुस्तान में हो नहीं पाती.
आज हम उत्तराखंड समेत देशभर के तमाम राज्यों में अनवरत प्रक्रिया के तहत जारी पेपर लीक्स के बारे में बात करेंगे. लल्लनटॉप की टीम देहरादून में युवाओं के बीच पहुंची है. इसके अलावा हमने सुबह ही सोशल मीडिया के अपने सभी प्लेटफॉर्म पर युवाओं से उनके राज्य में हुई भर्ती धांधली को बताने को कह दिया था. अलग-अलग राज्यों से हजारों की संख्या में कमेंट आएं हैं, सभी कमेंट को एक शो में दिखा लेने का दावा तो हम नहीं कर सकते. मगर ज्यादातर पर बात करने की कोशिश रहेगी. लेकिन सबसे पहले एक विज्ञापन की बात. 9 साल पहले फेवीकोल बनाने वाली पिडिलाइट इंडिया का एक चर्चित विज्ञापन आया.
विज्ञापन में एक बुजुर्ग मरणासन्न स्थिति में लेटे हुए हैं, वकील से वसीहतनामा बनवाकर अपने तीनों बेटों को देते हैं. एक बेटा कहता है बाबा ये क्या दिया आपने, इतना तो बस के किराए में खर्च हो जाता है.जबरन वो वसीहतनामे की रकम में दो-तीन जीरो बढ़वा लेता है.फिर जब वो घर ढेहरी पर खड़े होकर वसीहत की रकम देखता है, तभी टपकती छत से एक बूंद कागज पर गिरती है और जीरो के आगे लगा एक मिट जाता है.पीछे से कमेंट्री होती है.सिर्फ एक टपकती बूंद आपकी किस्मत बदल सकती है. ये M-SEAL का प्रचार था.
इसी तरह की एक M-SEAL की जरूरत देश को भी है. क्योंकि पेपर लीक ना रोकना युवाओं की नजर में एक अक्षम्य अपराध है. ये सिस्टम का नल बार-बार चूए जा रहा है, इसको रोकने के लिए कोई तो M-SEAL होगी.या तो उसको खोज लीजिए, या फिर सरकारें ये मुनादी करा दें कि सरकारी नौकरी नहीं दे सकते हैं, खुदमुख्तार बन जाइए.ये क्या बात होती है कि युवाओं पर बेरहमी से लाठी चला दी जाए और फिर कहिए बाहरी तत्व आ गए थे, ये हो गया था, वो हो गया था.
प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार उत्तराखंड की चुनावी रैली में कहा था पहाड़ का पानी और जवानी पड़ाह के ही काम आना चाहिए. और क्या बढ़िया काम आ रहा है. पहाड़ पर उगने वाले देवदार से बनी लाठियों की मजबूती इनकी पीठ से की जा रही है. देहरादून में सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं इकट्ठा होते हैं. वजह पेपर लीक, भर्ती समय से ना हो पाना. कौन-कौन सी भर्ती लीक हुई? नोट करिए
>>2021, उत्तराखंड SSSC की 13 विभागों में 916 पदों के लिए हुई परीक्षा में पेपर लीक हुआ।
>>2022 में 770 पदों के लिए हुई पांच भर्ती परीक्षाएं धांधली के बाद रद्द करनी पड़ीं।
>2022 में विधानसभा के स्टाफ की भर्ती में अपने अपनों को रेवड़ी बांटने की धांधली हुई।
जब उत्तराखंड SSSC से भर्ती परीक्षाएं ईमानदारी से ना हो पाईं तो काम उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को दिया गया. लेकिन देखिए.जनवरी में इसी साल जब लेखपाल पटवारी की भर्ती परीक्षा उत्तराखंड लोकसेवा आयोग ने कराई तो इस परीक्षा का भी पेपर लीक हो गया. इस परीक्षा में एक लाख लोग बैठे.उत्तराखंड छोटा राज्य है. एक भर्ती इम्तिहान में एक लाख बच्चों के बैठने का मतलब है बेरोजगारों की कितनी बड़ी तादाद एक नौकरी, एक भर्ती इम्तिहान, एक परिणाम, एक नियुक्ति पत्र का इंतजार करती रहती है.जहां ना यूके ssc ईमानदारी से भर्ती परीक्षा करा पा रहा है.ना उत्तराखंड लोकसेवा आयोग. अगर मैं अगर उंगलियों पर गिन दूं तो दो साल में पटवारी, लेखपाल, छात्रावास अधीक्षक, सहायक समीक्षा अधिकारी, सहायक चकबंदी अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी, पोस्टमैन, वन दरोगा इन सारे पदों पर नौकरी दिलाने वाली परीक्षाओं के पेपर अकेले उत्तराखंड में ही लीक हो चुके हैं.बीजेपी सरकार ने चुनाव से पहले अपने घोषणपत्र, जिसे बीजेपी वाले संकल्प पत्र कहते हैं. उसमें वादा किया था कि हम उत्तराखंड के युवाओं को पचास हजार नौकरी देंगे. 24 हजार नौकरी सत्ता में लौटते ही उपलब्ध करा देंगे.लेकिन बदले में मिला क्या ? ये लाठियां ?
लाठीचार्ज पर दिलीप कुंवर ने बयान दिया, कि बेरोजगार संघ के बैनर तले उनके कुछ लोग भी थे, ज्यादातर लोग असामाजिक तत्व शामिल थे. उन्होंने माहौल खराब करने का प्रयास किया. कमाल है ना जो पुलिस पेपर लीक माफिया को पहले नहीं पकड़ पाते. वो एक झटके में आंखों में स्कैनर लगाकर ऐलान कर देते हैं कि बेरोजगार कम थे.असामाजिक तत्व ज्यादा थे. लड़कियों को भी लाठियां लगी हैं, क्या वो भी असमाजिक तत्व थीं? युवाओं पर पथराव का आरोप है, उसमें गिरफ्तारियां भी हुई हैं. प्रदर्शन में हम हिंसा के साथ कभी नहीं खड़े हो सकते.कानून अपना काम करे. लेकिन युवाओं के मुद्दों और मांगों से छल नहीं होना चाहिए. दुखद किंतु सत्य है कि ये छल हर राज्य में हो रहा है.हमें समझ नहीं आता किस राज्य का नाम लें और किसका छोड़ दें? उत्तराखंड के अलावा यूपी, बिहार,झारखंड, एमपी, राजस्थान,छत्तीसगढ़, गुजरात,हिमाचल,अरुणाचल हर राज्य में भर्ती परिक्षाएं लीक हुईं.राज्यों भले ही सरकारें अलग-अलग पार्टियों की हैं, मगर पेपर लीक का सिस्टम एक सरीखा है.सबको लीकेज रोकने के लिए M-SEAL वाले सिस्टम की जरूरत है.हम किसी ब्रांड का प्रचार नहीं कर रहे, बल्कि सिस्टम के लीकेज को समझाने के लिए बस एक लोकप्रचलित उदाहशरण का इस्तेमाल कर रहे हैं.
हमने जब युवाओं से उनके राज्य हुए लीक के बारे में जानकारी मांगी तो दिमाग चकरा गया.