उत्तराखंड पुलिस को साइबर क्राइम से निपटने के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है. जिसके तहत 100 पुलिस कर्मियों को ट्रेनिंग दी जा रही है, जिसके बाद ये पुलिस जवान मास्टर ट्रेनर की भूमिका निभायेंगे.
देहरादून: पिछले कई सालों से उत्तराखंड में साइबर क्राइम का ग्राफ तेजी से बढ़ता ही जा रहा है. हर साल 10 हजार से अधिक साइबर ठगी के मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे में साइबर अपराधियों से निपटने के लिए राज्य सरकार हर जिले में साइबर पुलिसकर्मियों की तैनाती करने जा रही है. इसके लिए देहरादून स्थित एसटीएफ कार्यालय में 100 से अधिक पुलिस के सीओ, इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर और कांस्टेबल को विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है.
ट्रेनिंग में हर जिले की साइबर सेल से दो से तीन पुलिसकर्मी शामिल होंगे, जो तकनीक के क्षेत्र में दिलचस्पी रखते हैं. टीम द्वारा चार चरणों की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद सभी जवानों की परीक्षा ली जाएगी. जो पुलिसकर्मी परीक्षा में पास होगा उसे ही सर्टिफिकेट मिलेगा और जो असफल पुलिसकर्मी होंगे उन्हें दोबारा से ट्रेनिंग दी जाएगी.
बता दें कि जनवरी में आयोजित डीजी कॉन्फ्रेंस में केंद्र सरकार ने साइबर अपराध के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य सरकार को साइबर कमांडो तैयार करने के निर्देश दिए थे. जिसके तहत पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग दी जा रही है. साइबर पुलिस की चार दिन की ट्रेनिंग तीन चरण में पूरी होगी.
सबसे पहले बेसिक ट्रेनिंग दी जा रही है. इसमें पुलिसकर्मियों को साइबर ठगी की घटनाओं की जांच पड़ताल करने, ठगी की धनराशि पीड़ित को वापस दिलाने और साइबर ठगों का पता लगाने के लिए ट्रेनिंग प्रदेशभर के साइबर एक्सपर्ट दे रहे है. दूसरे चरण में इंटरमीडिएट ट्रेनिंग होगी, जिसमें अन्य समस्याओं से निपटना सिखाया जाएगा. तीसरे चरण में एडवांस ट्रेनिंग के तहत आईटी एक्ट में दर्ज मुकदमों की जांच के बारे में सिखाया जाएगा.
एसटीएफ एसएसपी आयुष अग्रवाल ने कहा ट्रेनिंग का उद्देश्य है कि जैसे ही साइबर अपराध की शिकायत मिले, उसकी जांच शीघ्र शुरू कर उतनी ही तेजी से अपराधी तक पहुंचा जा सके. पहले चरण में 100 जवानों की ट्रेनिंग शुरू हो गई है. यह पुलिसकर्मी ट्रेनिंग लेने के बाद मास्टर ट्रेनर के रूप में भी काम करेंगे. यह ट्रेनिंग 4 चरणों में विभाजित की गई है. प्रत्येक चरण में 25 पुलिसकर्मी ट्रेनिंग प्राप्त करेंगे. इसमें सीओ, साइबर सेल के इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर और कांस्टेबल शामिल हैं.