देहरादून, 16 मार्च (हि.स.)। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने देश की सुरक्षा को बहुत मजबूत करने में नई सोच के साथ अहम भूमिका निभाई।
उन्होंने चीन से तनातनी के बीच देश की एक इंच जमीन नहीं जाने दी। पाकिस्तान ही नहीं चीन की धमकियों का भी मुंहतोड़ जवाब दिया।
दून विश्वविद्यालय ने देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत की जयंती पर सीमांत सुरक्षा-राष्ट्रीय सुरक्षा विषय पर द्वितीय व्याख्यान माला में बतौर मुख्य अतिथि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि जनरल रावत की खासियत यह थी कि वो सबसे हटकर सोचते और करते थे। खुली सोच के साथ वो सभी की बातों को सुनते और उसके बाद उस पर अपना निर्णय देने में देरी नहीं करते थे।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि जब डोकलाम हुआ, तब उन्होंने पूरी दृढ़ता के साथ चीन को मुंहतोड़ जवाब देने में देरी नहीं की। देश की एक इंच जमीन नहीं जाने दी। भारतीय सेना को मजबूत करने के लिए उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण सुझाव दिए, जो आज लागू भी हो रहे हैं। उत्तरकाशी के जादौन में सड़क पहुंचने पर उन्होंने वहां के ग्रामीणों को वहीं पुनर्वासित करने पर सहमति दी। साथ ही टिंबरसैंण महादेव को भी धार्मिक लोगों के दर्शन के लिए खोलने की अनुमति दी थी। उनके फैसले के कारण ही आज भारतीय सेना स्व. निर्मित हथियारों के मामले में आत्मनिर्भर है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में सीमा तक सेना की पहुंच को आसान बनाने के लिए आल वेदर रोड बनाने में भी उनकी ही सकारात्मक सोच रही है। दिल्ली जयपुर हाइवे भी सेना क्षेत्र से गुजरने के कारण यह रोड भी काफी समय से लंबित थी। उनकी सहमति के बाद ही यह हाइवे भी आज बन सका है। जनरल रावत की रिटायरमेंट के बाद दो सैनिक स्कूल खोलने की इच्छा थी, लेकिन उनके असमय शहीद होने के कारण यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी।
मेजर जनरल (रि.) और उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष आनंद सिंह रावत और मेजर जनरल (रि.) मोहन लाल असवाल ने सेना में सेवा के दौरान जनरल रावत के साथ बिताए संस्मरणों को साझा किया। उन्होंने बताया कि बहुत गहराई के साथ जनरल रावत सोचते थे और काम करते थे। भारतीय सेना को मजबूत करने की दिशा में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। जनरल रावत एक सहज और शालीन व्यक्ति थे। उनसे मिलकर हर कोई प्रभावित होता था।
सीडीएस रहते हुए उन्होंने तीनों सेनाओं में सुधार लाने के लिए अनेक सुझाव दिए और उन पर कार्य भी किया। पुलवामा, उरी और डोकलाम में दुश्मन सेना को मुंहतोड़ जवाब देने में उनकी बड़ी भूमिका रही। विश्व संवाद केंद्र के प्रमुख विजय ने कहा कि हिंदुस्तान की सीमाएं कभी अफगानिस्तान से लेकर हिंद महासागर तक थीं। इसलिए भारत की सीमाओं की सुरक्षा का प्रश्न महत्वपूर्ण है।
दून विवि की कुलपति डा. प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने कहा कि जनरल रावत की स्मृति में पिछले साल से विवि ने यह व्याख्यान माला शुरू की। उनकी कोशिश है कि हर साल यह व्याख्यान माला का कार्यक्रम आयोजित की जाए, जिससे हमारी युवा पीढ़ी को जनरल रावत जैसे देश के महान पुरुषों के बारे में जानकारी मिल सके और वीर सैनिकों को याद कर सकें। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित करने के बाद जनरल रावत के चित्र पर श्रद्धांजलि के साथ हुआ।
उधर, प्रेमनगर सनातन धर्म मंदिर के हाल में वीर फाउंडेशन ने जनरल विपिन रावत की जन्म जयंती पर रक्तदान शिविर का आयोजन कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस मौके पर रक्तदाताओं का धन्यवाद करते हुए कहा कि जनरल रावत को श्रद्धांजलि के लिए युवाओं के रक्तदान की पहल बहुत ही सराहनीय है। शिविर में करीब 100 यूनिट रक्त का संग्रह किया गया।
इस कार्यक्रम में भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष शशांक रावत और कार्यक्रम आयोजक राजेश रावत ने सभी सहयोगियों को आभार जताया।