राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की सिफारिशों के अनुसार, सभी तरह के स्कूलों को एक बार में 10 दिन का बस्ता मुक्त दिवस मनाने की अनुमति दी गई है।
उत्तराखंड में सरकारी और निजी स्कूलों में बस्ते का बोझ कम करने के लिए हर साल दस दिन बस्ता मुक्त दिवस होंगे। शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने बताया कि यह योजना हर महीने के अंतिम शनिवार को लागू होगी। इस योजना के तहत विद्यार्थी बिना बस्ते स्कूल जाएंगे। जहां वह अपनी रुचि के अनुसार विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में भाग ले सकेगा।
प्रदेश के सभी स्कूलों में बस्ता मुक्त दिवस योजना लागू की जा रही है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप है। योजना उच्च प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में कक्षा छह से कक्षा बारह तक लागू होगी। प्रदेश के राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में पहले से ही इस कार्यक्रम को “प्रतिभा दिवस” के रूप में चलाया जा रहा है। यह भाषा, गणित, खेलकूद, कला, क्राफ्ट, श्रम व व्यायाम, सामाजिक और सांस्कृतिक रुचि की गतिविधियों को नियंत्रित करता है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की सिफारिशों के अनुसार, सभी तरह के स्कूलों को एक बार में 10 दिन का बस्ता मुक्त दिवस मनाने की अनुमति दी गई है। इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों के बस्ते के बोझ को कम करना, छात्रों में निहित प्रतिभाओं का विकास करना, स्थानीय व्यवसायों और हस्तशिल्प संबंधी कौशल विकसित करना और श्रम का सम्मान करना है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि विभागीय प्रस्ताव मंजूर है। योजना इस संबंध में शासनादेश मिलते ही लागू की जाएगी। हर जिले का मुख्य शिक्षा अधिकारी इसकी देखभाल करेगा।
बस्ता मुक्त दिवस पर स्कूलों में तीन प्रकार की गतिविधियां होंगी। जिसमें जैविक रूप, मशीन और सामग्री, और मानवीय सेवाएं शामिल हैं। उच्च प्राथमिक विद्यालयों में जैविक रूप की गतिविधियों में छात्रों को मृदा प्रबंधन, मिट्टी के प्रारंभिक कामों, कृषि और बागवानी का ज्ञान मिलेगा। मशीन और सामग्री का इस्तेमाल करके छात्रों को हस्तशिल्प कार्य और आधुनिक और प्रारंभिक मशीनों का उपयोग करना सिखाया जाएगा।
मानवीय सेवाओं में बुनियादी सूचना और संचार प्रौद्योगिकी और तकनीकी कौशल, स्वास्थ्य देखभाल और आतिथ्य के आधार सहित टीमों में काम करने की क्षमता सिखाई जाएगी। माध्यमिक विद्यालयों में जैविक कार्यों के माध्यम से विद्यार्थियों को प्रकृति अनुकूल कृषि, प्रकृति संरक्षण, नर्सरी प्रबंधन, पशुपालन, वित्तीय सेवाएं, सौंदर्य और व्यक्तिगत देखभाल और उद्योग के बारे में जानकारी दी जाएगी।
छात्रों को सिलाई, बढ़ईगिरी, वेल्डिंग और कास्टिंग, मिट्टी के बर्तन, स्थानीय कला और रोबोटिक मशीनों का प्रशिक्षण मशीन और सामग्री के माध्यम से दिया जाएगा। मानवीय सेवाओं में छात्रों को इंटरमीडिएट सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी, तकनीकी कौशल, बिजली का काम, परिवहन सेवाएं, विक्रय और विपणन, आतिथ्य और पर्यटन में प्रशिक्षण दिया जाएगा।