सीएम धामी ने कहा कि तीर्थयात्रा और पर्यटन अलग-अलग चीजें हैं, इसलिए चारधाम यात्रा की परंपराओं का पालन करना जरूरी है। लिव-इन रिलेशनशिप पर उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार अपने रुख पर कायम है, लेकिन सुझावों के लिए दरवाजे खुले हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में लागू समान नागरिक संहिता के तहत लिव-इन रिलेशनशिप का विरोध किया जा रहा है, लेकिन उनकी सरकार अपने फैसले पर अडिग रहेगी। हालांकि, वे सभी सुझावों को खुले मन से स्वीकार करेंगे। मुख्यमंत्री नई दिल्ली में एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में बोल रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2022 के चुनाव में हमने राज्य की जनता से वादा किया था कि अगर भाजपा की सरकार बनेगी, तो समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी। हमने अपना वादा निभाया। लिव-इन रिलेशनशिप के विरोध पर उन्होंने कहा कि यह हमारी संस्कृति का हिस्सा नहीं है, लेकिन यह मुद्दा कई बार उच्चतम न्यायालय में उठ चुका है।
हम लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास रखते हैं। लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर यदि कोई सुझाव मिलता है तो उसका सम्मान किया जाएगा, लेकिन सरकार अपने फैसले से पीछे नहीं हटेगी। चारधाम यात्रा के दौरान रील संस्कृति पर रोक के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि तीर्थयात्रा और पर्यटन के बीच के अंतर को समझना जरूरी है।
बैकफुट में नहीं जाएंगे: धामी
चारधाम यात्रा को पूरी तरह श्रद्धा और आस्था से जुड़ी यात्रा होना चाहिए। हमारे पूर्वजों ने इसके लिए कुछ नियम बनाए हैं, क्योंकि यह धर्म पर आधारित यात्रा है। पुराने रील दिखाने से देश और दुनिया में गलत संदेश जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2013 की आपदा के बाद केदारनाथ में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में पुनर्निर्माण कार्य किए गए।
केदारनाथ को भव्य और दिव्य बनाने के दौरान पर्यावरण का पूरा ध्यान रखा गया है। हमारी सरकार का विकास मॉडल इकोलॉजी और इकॉनमी के संतुलन पर आधारित है। धामों की एक सीमित क्षमता होती है, इसलिए भीड़ के दबाव को कम करने के लिए आसपास के क्षेत्रों में नए स्थान विकसित किए जा रहे हैं। लिव-इन रिलेशनशिप का अब रिकॉर्ड रखा जाएगा, और इस फैसले में कोई बदलाव नहीं होगा। हम पीछे नहीं हटेंगे, लेकिन सुझावों को जरूर शामिल किया जाएगा।
आपदाएं राज्य के सामने सबसे बड़ी चुनौती
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड राज्य के सामने सबसे बड़ी चुनौती आपदाएं हैं। यहां बादल फटने, भूस्खलन, हिमस्खलन की घटनाएं अकसर होती हैं। सिलक्यारा टनल हादसे पर उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के मार्गदर्शन, संवेदनशीलता और सहयोग से यह ऑपरेशन सफल रहा। आज वैज्ञानिक इस पर शोध कर रहे हैं।
हम कानून पर चलने वाले, इसलिए विरोध नहीं होता
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश और दुनिया के लोग देवभूमि को आस्था और श्रद्धा से देखते हैं, इसलिए राज्य में अतिक्रमण किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है। इसे हटाने का अभियान जारी रहेगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने स्पष्ट किया कि अवैध मदरसों और मजारों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान का विरोध नहीं होता, क्योंकि सरकार कानूनी दायरे में रहकर काम कर रही है।
उन्होंने बताया कि कई स्थानों पर सरकारी जमीन पर अवैध मजारें बनाई गई थीं, जिन्हें हटाने के लिए कार्रवाई की गई। इस अभियान के तहत करीब 6000 एकड़ सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया। साथ ही, मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों की पहचान छुपाने की घटनाएं सामने आईं। जहां भी मदरसे अवैध पाए गए, उन्हें सील कर दिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि की पवित्रता बनाए रखना सरकार की प्राथमिकता है।
वक्फ कानून भी राज्य में लागू कराएंगे
मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित रखने और जनसंख्या संतुलन बनाए रखने के लिए सत्यापन अभियान चलाया गया। समान नागरिक संहिता (UCC) लागू की गई, लैंड जिहाद रोकने के लिए अतिक्रमण हटाया गया और जबरन धर्मांतरण पर सख्त कानून बनाया गया। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड में वक्फ कानून को भी लागू किया जाएगा।
पीएम मोदी आधुनिक भारत के शिल्पकार
मुख्यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री के साथ काम करने के अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने पीएम मोदी को आधुनिक भारत का शिल्पकार बताया और अपनी पहली मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री हर छोटी से छोटी बात पर ध्यान देते हैं और आम लोगों की चिंता करते हैं।