उत्तराखंड (Uttarakhand) के सरकारी स्कूलों में शैक्षिक सत्र शुरू होने के डेढ़ महीने बाद भी बच्चों को किताबें नहीं मिल पाई. खासकर पर्वतीय जिले ऐसे हैं, जहां पर कक्षा 9 से 12वीं तक के छात्र बिना किताबों के पढ़ाई कर रहे हैं.
जबकि सरकार ने यह दावा किया था कि शैक्षिक सत्र शुरू होते ही कक्षा एक से 12वीं तक के सभी बच्चों को मुफ्त किताबें दी जाएंगी. लेकिन शिक्षा विभाग वक्त पर बच्चों को किताबें मुहैया कराने में विफल रहा है.
डीजी ने किया ये दावा
पिछली सरकार के दौरान उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से लेकर 12वीं तक के सभी छात्रों को मुफ्त किताबें देने का वादा किया गया था. सरकार ने आदेश जारी किए की कक्षा 1 से लेकर 12वीं तक के सभी छात्रों को मुफ्त किताबें मिलेंगी. लेकिन नए शैक्षिक सत्र शुरू होने के डेढ़ महीने बाद भी सभी छात्रों को आज तक मुफ्त किताबें नहीं मिल पाई.
हालांकि शिक्षा विभाग का दावा है कि कक्षा 1 से लेकर आठवीं तक के सभी छात्रों को मुफ्त किताबें दे दी गई हैं. लेकिन 9 से लेकर 12वीं तक के तकरीबन 50% छात्र ऐसे हैं जिनको अभी तक किताबें नहीं मिल पाई. महानिदेशक शिक्षा बंशीधर तिवारी का कहना है कि 4 दिन के अंदर सभी बच्चों को किताबें मुहैया करा दी जाएंगी.
कंपनियों को लेकर सामने आई ये बात
खासकर यदि पर्वतीय जिलों टिहरी, चमोली, नैनीताल, चंपावत ,पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा ऐसे जिले हैं जहां पर स्कूली छात्र किताबों के लिए तरस रहे हैं. वहीं हरिद्वार जिले के हालात भी बहुत ज्यादा बेहतर नहीं है. यहां भी किताबों की किल्लत से छात्र परेशान है. अकेले देहरादून जिले में छात्रों को 100% किताबें मिलने की बात कही जा रहा हैं. बाकी अन्य जिले ऐसे हैं जहां पर कक्षा 9 से 12वीं तक के छात्रों को किताबें नहीं मिली. जानकारी के अनुसार जिन कंपनियों को टेंडर दिए गए थे उनकी लेटलतीफी की वजह से किताबें पहुंचाने में दिक्कतें आ रही हैं.
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