देहरादून:- चंपावत विधानसभा में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के उपचुनाव की तारीख का ऐलान हो गया है। चंपावत उपचुनाव के लिए 31 मई को मतदान होगा और 3 जून को परिणाम आएगा। 4 मई को चंपावत चुनाव को लेकर चुनाव आयोग नोटिफिकेशन जारी करेगा और नॉमिनेशन की आखिरी तारीख 11 मई तय की गई है। नामांकन वापस लेने की तारीख 17 मई तय की गई है।
मुख्यमंत्री धामी के हारते ही सीट ऑफर की थी
कैलाश गहतोड़ी बीजेपी के पहले विधायक थे जिन्होंने सबसे पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए अपनी सीट ऑफर की थी। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के परिणाम 10 मार्च को जब घोषित हुए तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अप्रत्याशित रूप से अपनी परंपरागत सीट खटीमा से चुनाव हार गए थे। बीजेपी को जब पूर्ण बहुमत मिल गया तो उसी दिन कैलाश गहतोड़ी ने घोषणा कर दी कि वो धामी के लिए अपनी सीट से इस्तीफा देने को तैयार हैं। ये तब हुआ था जब बीजेपी ने धामी को दूसरी बार मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा नहीं की थी। हालांकि इसके बाद कई दूसरे विधायकों ने धामी के लिए अपनी सीट खाली करने की पेशकश की थी।
चंपावत से ही क्यों लड़ने का फैसला लिया सीएम धामी ने
चंपावत सीट को जातिगत समीकरणों के आधार पर धामी के लिए आसान माना जा रहा है। पहाड़ी जिले की इस सीट पर करीब 54 फीसदी ठाकुर मतदाता हैं। सीएम धामी भी ठाकुर हैं। इस सीट पर 24 फीसदी ब्राह्मण हैं। ब्राह्मणों को परंपरागत रूप से बीजेपी का वोटर माना जाता है। चंपावत सीट पर 18 फीसदी दलित और चार फीसदी मुस्लिम वोटर भी हैं। इस तरह वोटों के गुणा-गणित को देखते हुए बीजेपी ने सीएम धामी को चंपावत से उपचुनाव लड़ाना मुफीद समझा।
चंपावत सीट पर क्या कहा सीएम धामी ने
गहतोड़ी के इस्तीफा देने के बाद सीएम धामी ने चंपावत में कहा था कि मां पूर्णागिरि और मां शारदा ने मुझे बुलाया है। सीएम ने ये भी कहा था कि चंपावत मां बाराही देवी का धाम है, गोल्ज्यू का धाम है। मैं शारदा किनारे ही पैदा हुआ, इसलिए यहां से लगाव है। कैलाश गहतोड़ी के चंपावत विधानसभा सीट से इस्तीफा देने के बाद सीएम धामी ने यहां से चुनाव लड़ने के अनेक कारण बताए।
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