उत्तराखंड में वर्षों से जंगली जानवरों के हमले से जुड़े मामले सामने आ रहे हैं। अब वन विभाग ने आखिरकार मानव-वन्यजीव संघर्ष निवारण की कार्य योजना का खाका तैयार करना शुरू कर दिया है।
यह पहल मानव-वन्यजीव संघर्ष और इनमें होनी वाली मौतों के बढ़ते मामलों की जांच के साथ इन्हें रोकने में मदद करेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसी साल जून में 22वीं राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में यह मुद्दा उठाया था, जिसके बाद राज्य सरकार हरकत में आई। इस साल उत्तराखंड में वन्यजीवों के हमले में 35 लोगों की जान गई, जबकि 112 लोग गंभीर रूप से घायल हुए। इनमें ज्यादातर हमले तेंदुओं ने किए। पहाड़ों में भालू के हमले से घायल होने की घटनाएं भी बढ़ रही हैं।
वर्ष 2001 से जुलाई 2022 तक मानव-वन्यजीव संघर्ष सहित विभिन्न कारणों से अब तक एक हजार 588 तेंदुए, 167 बाघ, 481 हाथियों की मौत भी हो चुकी है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इन विभिन्न मामलों में मानव के लिए खतरा बने 410 तेंदुओं को पकड़ने की अनुमति दी गई। इसके साथ ही 23 बाघों और नौ हाथियों को नियंत्रित करने के लिए अनुमति दी गई, जबकि कुछ मामलों में वन्य जीव शिकारियों की गोली के शिकार हुए।
मानव-वन्यजीव संघर्ष निवारण कार्ययोजना के ब्लूप्रिंट के कुछ प्रमुख पहलुओं को साझा करते हुए, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डॉ. समीर सिन्हा ने बताया कि मानव वन्यजीव संघर्ष से निपटने के लिए त्वरित प्रतिक्रिया की दिशा में काम करने का खाका तैयार किया जा रहा है। मुख्यमंत्री चाहते थे कि हम इन संघर्षों को कम करने के लिए एक राज्य कार्य योजना बनाएं। हम इस पर प्राथमिकता के आधार पर काम कर रहे हैं।
वर्ष 2022 में 35 लोगों की जान गई, 112 लोग घायल हुए
– गुलदार के हमले में 13 लोगों की मौत, 37 लोग घायल हुए
– हाथी के हमले में पांच लोगों की मौत, चार लोग घायल हुए
– बाघ के हमले में 10 लोगों की मौत, चार घायल हुए
– भालू के हमले में एक की मौत, 32 लोग घायल हुए
– सांप के काटने से पांच लोगों की मौत, 18 घायल हुए
– मगरमच्छ के हमले में एक व्यक्ति की जान गई
नोट- आंकड़े पहली जनवरी से जुलाई 2022 तक के हैं।