उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। उत्तराखंड की खूबसूरती के आगे विदेश के पर्यटन स्थल भी फीके से लगते हैं।
देश विदेश से यहां साल भर पर्यटकों को आना लगा रहता है। पर्यटक मसूरी, नैनीताल, भवाली, ऋषिकेश, औली, चंबा, अल्मोड़ा, मुक्तेश्वर, आदि प्रसिद्ध स्थलों पर पहुंचते हैं।
कुछ ऐसी जगहें भी हैं जो पर्यटकों की पहुंच से दूर हैं
उत्तराखंड में ऐसा कोई मौसम नहीं होता जब पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की भीड़ न दिखाई दे। वीकेंड पर तो अक्सर ये पर्यटक स्थल पैक हो जाते हैं। हजारों पर्यटक इन प्रसिद्ध स्थलों पर पहुंचते हैं, लेकिन इनके साथ ही उत्तराखंड में कुछ ऐसी जगहें भी हैं जो पर्यटकों की पहुंच से दूर हैं। इन जगहों पर जाकर प्रकृति के अनूठे स्वरूप का नजारा देखा जा सकता है।
बहुत कम लोगों को कलाप गांव की जानकारी
आज हम आपको एक ऐसे ही हिल स्टेशन के बारे में बताने जा रहे हैं जो गुमनाम है। बहुत कम लोगों को कलाप गांव की जानकारी है, लेकिन की सुंदरता शिमला और मसूरी जैसा अहसास कराती है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित कलाप गांव में प्राकृतिक सुंदरता का भंडार है। नवंबर और दिसंबर के महीने में आप यहां पर अपनी छुट्टियां प्लानकर सकते हैं। आइए जानते हैं इस गांव के बारे में…
- कलाप गांव उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में 2286 मीटर की ऊंचाई पर बसा है।
- उत्तरकाशी जिले में स्थित यह गांव टोंस घाटी में स्थित है।
- मान्यता है कि कलाप गांव से महाभारत का इतिहास जुड़ा है।
- यहां के लोग खुद को कौरव और पांडवों को वंशज बताते हैं।
- कलाप में पहुंच कर पर्यटक ट्रैकिंग और कैंपिंग कर सकते हैं।
- यहां की आबादी बहुत कम है।
- कलाप गांव में कर्ण का मंदिर है। जहां 10 साल के अंतराल पर कर्ण महाराज उत्सव मनाया जाता है।
- यहां के निवासियों की आमदनी का मुख्य सहारा खेती है।
कैसे पहुंचे कलाप गांव?
कलाप नई दिल्ली से 450 किमी और देहरादून से 210 किमी की दूरी पर स्थित है। कलाप पहुंचने के लिए सबसे पास का बस-रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डा देहरादून में है। उत्तरकाशी पहुंचने के लिए देहरादून और ऋषिकेश के बस या टैक्सी ली जा सकती है।
कलाप के पास की जगह पहुंचने के लिए कार से 6 घंटे या बस से 10 घंटे लगते हैं। लेकिन यहां से आपकेा पैदल जाना होगा। यहां से दो पैदल रास्ते कलाप गांव पहुंचते हैं। एक पर 8 किमी तो दूसरे पर पांच किमी की दूरी तय करनी होती है।