ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन के टनल निर्माण कार्य के चलते प्रभावित हो रहे हैं. बल्दियाखान और अटाली गांव के लोगो ने मुआवजे की मांग को लेकर गूलर रेलवे टनल पर धरना प्रदर्शन किया.

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टीहरी जिले के कई गांव ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन के टनल निर्माण कार्य के चलते प्रभावित हो रहे हैं. बल्दियाखान और अटाली गांव इनमें प्रमुख हैं. इन दोनों गांवों के ग्रामीणों ने विस्थापन और मुआवजे की मांग को लेकर गूलर रेलवे टनल पर धरना प्रदर्शन किया.

टिहरी: बल्दियाखान और अटाली के ग्रामीणों ने विस्थापन और मुआवजे की मांग को लेकर गूलर रेलवे टनल पर धरना प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारी ग्रामीणों ने आरवीएनएल, एलएंडटी और प्रदेश सरकार के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की. साथ ही ग्रामीणों ने उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी.

बता दें ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन के टनल निर्माण कार्य के लिए हैवी ब्लास्टिंग हो रही है ग्रामीणों का आरोप है कि बल्दियाखान व अटाली गांव के मकानों में इससे जगह-जगह दरारें पड़ गयी हैं. मकान व खेतों में दरारें पड़ने के कारण बल्दियाखान व अटाली, दोनों गांव बर्बादी के कगार पर पहुंचते जा रहे हैं. अटाली गांव में तो खेतों में भी बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गयी हैं. ऐसी विकट परिस्थितियों में दोनों गांवों के ग्रामीणों ने अपना दुखड़ा आरबीएनएल एवं L&T अधिकारियों के सामने रखा. मगर उनकी मुआवजे और विस्थापन की मांग कई महीनों से हवा में लटकी रही. इससे गुस्साए ग्रामीणों के सब्र का बांध टूट पड़ा. जिसके बाद वे बड़े अधिकारियों से वार्ता करने टनल परिसर में जा पहुंचे.

घंटों इंतजार के बाद भी अधिकारियों के काश्तकारों से वार्ता के लिए ना आने के कारण गुस्साए ग्रामीणों ने टनल के मुख्य द्वार पर धरना शुरू किया. साथ ही टनल का काम रुकवा दिया गया. इस दौरान आंदोलनकारी ग्रामीणों ने जमकर नारेबाजी की. जिसके बाद रेजीडेंट इंजीनियर सुमित बिष्ट मौके पर पहुंचे. उन्होंने आंदोलनकारियों को डीजीएम द्वारा व्हाट्सएप पर भेजा पत्र बताया. जिसमें उनकी समस्याओं के निदान के लिए डीजीएम भूपेंद्र सिंह ने लिखित रूप में वार्ता के लिए 17 मार्च की तारीख रखी है.
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ग्रामीणों ने कहा अगर 17 तारीख को मुआवजा और विस्थापन की मांग पर कोई हल नहीं निकला तो वे आंदोलन के लिए मजबूर होंगे. ग्रामीणों ने साफ शब्दों में कहा कि वो परियोजना का कोई विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन यदि परियोजना बनने से उन्हें अपने खेत, खलिहान और मकानों से हाथ धोना पड़ता है तो वे चुप नहीं बैठेंगे

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