राम मंदिर निर्माण हेतु किसी ‘टाट बाबा’ ने चाहे ‘बोरे भर’ नोट दान किये हों लेकिन माननीय न्यायालय के आदेश के अनुपालन में यह सब गौण है। जैसे कि चर्चा है किसी टाट बाबा ने राम मंदिर के निर्माण के लिए एक “खोखा” दान में दिया और उसी बाबा का सरकारी भूमि कब्ज़ा कर बनाये गए “खोखा-टिन-टप्पर” प्रशासन द्वारा ध्वस्त कर दिया गया।
माननीय न्यायालय के लिए इस बात का कोई मायने नहीं कि किसी “टाट बाबा” या “बोरे फ़क़ीर” ने किसी मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा या चर्च के लिए मोटी रकम दान दी है। भारत के ऐसे किसी भी नागरिक को इस बिना पर किसी न्यायिक आदेश से मुक्त नहीं माना जा सकता कि उसने दान दिया है।
यदि यह प्रकरण सत्य है तो प्रशासन व शासन को राजधर्म के पालन के लिये बधाई ।।।