जनवरी 2023 के पहले सप्ताह के दौरान, भूस्खलन ने रात के समय जोशीमठ (Landslide hit Joshimath at night) के बड़े हिस्से में अचानक हुआ। यह भूस्खलन अन्य घटनाओं से अलग था।
जोशीमठ में यह भूस्खलन अक्तूबर 2021 में एक बड़े सावधानियां पैदा करने वाले पानी के एक बारिश और विनाशकारी बाढ़ के बाद हुआ था। इस पानी ने जमीन के भीतर 10.66 मिलीयन लीटर जमा किया और एक हाइड्रोस्टेटिक दबाव (Million liters accumulated and a hydrostatic pressure) तैयार किया। इसके परिणामस्वरूप, जनवरी 2023 में जमीन के भीतर फूट पड़ा और साथ में मिट्टी को भी ले आया। इससे पहाड़ में खोखलापन पैदा हुआ और भवनों में बड़ी दरारें दिखाई दी। यह पानी ने पहाड़ को कैसे खोखला किया और एक प्राकृतिक आपदा की शक्ल में परिवर्तित किया, इसका विश्लेषण एनएचआई की रिपोर्ट के आधार पर किया गया है।
वैज्ञानिक अनुसंधान के आधार पर, जनवरी 2023 के पहले सप्ताह में हुआ भूस्खलन अन्य घटनाओं से अलग था, जिसमें रात के समय जोशीमठ के बड़े हिस्से में अचानक भूस्खलन देखा गया। इस आपदा के बाद, जेपी कॉलोनी के बैडमिंटन कोर्ट के पास तेज पानी (Strong water near badminton court of JP Colony) का खतरनाक बहाव था। इसके परिणामस्वरूप, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने इसकी जांच की और इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, जोशीमठ की आपदा का कनेक्शन अक्तूबर 2021 की विनाशकारी बाढ़ से जुड़ा हुआ है।
यहां वैज्ञानिकों ने एक रिपोर्ट के अनुसार (According to a report by scientists) दिया कि जनवरी 2023 के पहले सप्ताह के दौरान हुए भूस्खलन में विशेष बातें हैं। इसमें यह बताया गया कि जोशीमठ क्षेत्र में जो जरने के डिस्चार्ज डाटा है, वैज्ञानिकों ने इसे मापा और जांच किया। 06 जनवरी को, यह डाटा 540 लीटर प्रति मिनट (एलपीएम) दिखा रहा था, जो कुछ समय बाद घटकर 17 एलपीएम हो गया। वैज्ञानिकों ने इस आवाज के पीछे का कारण जानने के लिए जनवरी 2023 के पहले सप्ताह में फिर से जांच की।
इसके अलावा, रिपोर्ट में दिखाया गया कि जोशीमठ क्षेत्र विशेष रूप से उत्तरी ओर ढलान पर स्थित है, और वहां नियमित मॉनिटरिंग और उपकरणों के साथ स्लाइडिंग क्षेत्र है, जिसके लिए नजर रखना आवश्यक है। रिपोर्ट में सेटेलाइट रडार इंटरफेरोमेट्री का भी प्रयोग किया गया है। इसके अलावा, खतरनाक क्षेत्रों की मॉडलिंग और वर्गीकरण की जरूरत को भी बताया गया है।
सर्वे के दौरान, जोशीमठ क्षेत्र में झरनों, नालों, नदियों और भूजल से जुड़े 37 नमूने लिए गए, जिनमें पानी के प्रमुख आयन और ट्रेस धातुओं की जाँच की गई। इन नमूनों में पानी को शुद्ध पाया गया है।