बदरी और केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद आईटीबीपी इन दोनों धामों की सुरक्षा करेगा। ऐसे में पुलिस को इस काम में और अधिक प्रशिक्षित करने का विचार चल रहा है। हाई एल्टीट्यूड पर काम करने के लिए उन्हें खास ट्रेनिंग दी जाएगी।
बदरी और केदारनाथ धाम की सुरक्षा करने वाले पुलिसकर्मियों को खास ट्रेनिंग मिलेगी। इसके लिए एक नवीनतम मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) बनाया जा रहा है। SOP बनाने के लिए पुलिस मुख्यालय स्तर पर भी एक समिति बनाई गई है। इस समिति का निर्णय ही ट्रेनिंग का कार्यक्रम निर्धारित करेगा।
माना जाता है कि उत्तराखंड पुलिस ही ऑफ सीजन में इन दो धामों की सुरक्षा कर सकती है। इसके बावजूद, अभी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। बदरी और केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद आईटीबीपी इन दोनों धामों की सुरक्षा करेगा। ITBP ही ऊंचाई पर काम करने में सक्षम है।
सेंट्रल आर्म्ड फोर्स की आवश्यकता, हालांकि यात्रा सीजन में उत्तराखंड पुलिस ही इसे संभालती है। धामों से लेकर यात्रा मार्ग तक पुलिस सब कुछ करती है। ऐसे में पुलिस को इस काम में और अधिक प्रशिक्षित करने का विचार चल रहा है। हाई एल्टीट्यूड पर काम करने के लिए उन्हें खास ट्रेनिंग दी जाएगी। पिछले कुछ दिनों में पुलिस मुख्यालय स्तर पर एक समिति बनाई गई है।
सुरक्षा के लिए भी बनाया जाएगा एसडीआरएफ और अन्य विंग इन जवानों को ट्रेनिंग देंगे, जिसे एसओपी समिति के लिए बनाएगा। एडीजी कानून व्यवस्था एपी अंशुमान ने बताया कि पुलिस ने केंद्र से सेंट्रल आर्म्ड फोर्स की मांग की है। इसके बाद, यहां आईटीबीपी लगातार तैनात रहता है। ऐसे में एसओपी भी आईटीबीपी से पुलिस और पुलिस से आईटीबीपी को सुरक्षा देने के लिए बनाई जाएगी।
उन्होंने कहा कि अभी कोई स्पष्ट निर्णय नहीं हुआ है कि धामों की सुरक्षा में पुलिस ही होगी या नहीं। ट्रेनिंग विंग ने एसओपी प्रस्ताव भेजा है। इसी पर समिति विचार कर रही है। इस समिति की सिफारिशों के आधार पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। इस समिति में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं।