राज्य बनने के बाद 16 आईएफएस अधिकारियों पर जांच के आदेश दिए गए थे। दो वरिष्ठ आईएफएस अधिकारियों का निधन हो गया, लेकिन उनके जीवित रहते जांच पूरी नहीं हो पाई।
वन विभाग में जांच की स्थिति काफी खराब है। हालात यह हैं कि दो वरिष्ठ आईएफएस अधिकारियों का निधन हो गया, लेकिन उनके जीवित रहते जांच पूरी नहीं हो पाई। हो सकता है कि जांच में उनके खिलाफ लगे आरोप गलत साबित होते। समस्या यहीं खत्म नहीं होती, विभाग में एक डीएफओ को निलंबित किया गया है, लेकिन अब तक उनके मामले की जांच के लिए कोई अधिकारी नियुक्त नहीं किया गया है। इसके अलावा, दो और अधिकारियों के मामले में भी जांच अधिकारी का नामांकन अभी तक नहीं हुआ है।
वन विभाग की कार्यप्रणाली हमेशा से सवालों के घेरे में रही है। अधिकारियों पर आरोप लगने के साथ ही कार्रवाई भी होती रही है। इसमें दो अपर प्रमुख वन संरक्षक स्तर के अधिकारियों पर अनियमितताओं के आरोप लगे। एक अपर प्रमुख वन संरक्षक को वर्ष 2022 में आरोप पत्र जारी किया गया। इस मामले की जांच तत्कालीन प्रमुख वन संरक्षक ज्योत्सना सितलिंग को सौंपी गई थी। हालांकि, अनुशासनिक कार्रवाई लंबित रहते हुए वे सेवानिवृत्त हो गए और पिछले साल उनका निधन भी हो गया।
इस स्थिति में नियमानुसार अनुशासनिक कार्रवाई समाप्त कर दी गई। इसी प्रकार, एक अन्य अपर प्रमुख वन संरक्षक स्तर के अधिकारी पर अनियमितताओं के आरोप लगे, और वर्ष 2020 में उन्हें आरोप पत्र जारी किया गया। इस मामले की अनुशासनिक जांच तत्कालीन प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक को सौंपी गई। यह अधिकारी वर्ष 2022 में सेवानिवृत्त हो गए, और उसी वर्ष उनका निधन हो गया। इस कारण से भी अनुशासनिक कार्रवाई को रोक दिया गया।
9 अधिकारी रिटायर हो चुके, 11 सेवारत और सेवानिवृत्त पर जांच चल रही
वर्तमान में 11 सेवारत और सेवानिवृत्त आईएफएस अधिकारियों की जांच चल रही है, जिसमें डीएफओ से लेकर सेवानिवृत्त प्रमुख वन संरक्षक स्तर के अधिकारी शामिल हैं। जानकारी के अनुसार, इन मामलों में कई अधिकारियों की जांच को संबंधित जांच अधिकारी ने सौंप दिया है, लेकिन आगे की प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। इस स्थिति में जांच को प्रचलित माना जा रहा है।
कई गंभीर आरोप लगे
जिन अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं, उन पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इनमें राजकीय कार्यों में लापरवाही, कर्तव्यों के प्रति उदासीनता, वन आरक्षी भर्ती में अनियमितताएं, छिलका-गुलिया की अवैध निकासी, अवैध कटाई के मामले में कर्तव्य पालन में ढील, और अनधिकृत रूप से अनुपस्थित रहना शामिल है। वन विभाग के कई अधिकारियों पर आरोप लगे, लेकिन जांच के बाद जब आरोप साबित नहीं हुए, तो उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया। इसमें आईएफएस टीआर बीजूलाल और बीपी सिंह भी शामिल हैं।
लंबित जांच का काम जल्द पूरा करने का निर्देश दिया गया है। इस संबंध में रिमाइंडर दिया गया है। निश्चित तौर पर जांच का समयबद्ध होना चाहिए। इस संबंध में जांच अधिकारी को भी स्पष्ट निर्देश होंगे। समयबद्ध होकर कार्रवाई होनी चाहिए। -आरके सुधांशु, प्रमुख सचिव वन