कर्मचारियों का कहना है कि 2018 में हाईकोर्ट ने उपनल कर्मचारियों को समान काम के लिए समान वेतन देने और नियमितीकरण के लिए नियम बनाने का आदेश दिया था। लेकिन राज्य सरकार ने इस पर अमल करने के बजाय इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की।
प्रदेशभर से बड़ी संख्या में उपनल कर्मचारी राजधानी पहुंचे और सचिवालय की ओर मार्च करने की चेतावनी दी। इस दौरान पुलिस ने सुभाष रोड पर बैरिकेड्स लगाकर उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया, जिसके बाद संगठन के सदस्य सुभाष रोड पर सड़क पर बैठ गए।
राज्य निगम कर्मचारी महासंघ और हाईड्रो इलेक्ट्रिक कर्मचारी संघ ने भी उपनल कर्मचारियों के आंदोलन का समर्थन किया है। उपनल कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के प्रदेश संयोजक विनोद गोदियाल के अनुसार, हाईकोर्ट ने 2018 में उपनल कर्मचारियों को समान काम के लिए समान वेतन देने और नियमितीकरण के लिए नियम बनाने का आदेश दिया था, लेकिन राज्य सरकार ने इस आदेश को लागू करने के बजाय इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की।
प्रदेश भर के उपनल कर्मचारियों में नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की एसएलपी को खारिज कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद सरकार ने हाईकोर्ट के 2018 के फैसले पर अमल नहीं किया। अब सरकार एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल करने की योजना बना रही है, जिससे प्रदेशभर के उपनल कर्मचारियों में नाराजगी फैल गई है। वहीं, भगवानपुर की विधायक ममता राकेश ने भी उपनल कर्मचारियों की मांग का समर्थन किया है।