मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में राम कथा की प्रासंगिकता और अधिक हो गई है,
मुख्यमंत्री ने कहा कि 1 माह तक चलने वाली इस राम कथा में भगवान राम के जीवन मूल्यों, शिक्षाओं एवं आदर्शों से हमारा समाज लाभान्वित होगा। उन्होंने कहा कि इस अवधि में रामकथा के साथ पर्यावरण संरक्षण, नदियों, प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण, वृक्षारोपण तथा सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रयोग को रोकने से संबंधित जागरूकता का अभियान भी संचालित किया जाएगा, इसके लिए भी मुख्यमंत्री ने शुभकामनाएं दी तथा परमार्थ निकेतन परिसर में रुद्राक्ष का पेड़ लगाकर अभियान की शुरुआत भी की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में राम कथा की प्रासंगिकता और अधिक हो गई है, भगवान राम के आदर्श एवं उनका आशीष हम सबके जीवन में खुशहाली लाने के साथ ही कथा के माध्यम से प्रकृति संरक्षण का संदेश समाज में निश्चित रूप से जन जागरण का काम करेगा। उन्होंने कहा कि पृथ्वी के पर्यावरण को बचाने की हम सबकी जिम्मेदारी है, विशेषकर हिमालयी राज्यों की यह जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। हमारी नदियां, झील, झरने, प्राकृतिक स्रोत संरक्षित हो, वृक्षारोपण के माध्यम से हमारा वनावरण बढ़े इसके लिए हम सबको अपना योगदान देना होगा। मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि परमार्थ निकेतन के माध्यम से हो रहे यह आयोजन हमारी भावी पीढ़ी को प्राकृतिक संरक्षण का संदेश देने में नींव का पत्थर साबित होगा।
इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि ने मुख्यमंत्री को कर्मठ एवं कर्म योगी बताते हुए कहा कि इस परिसर में एक माह तक संचालित होने वाली राम कथा के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश जन-जन तक पहुंचाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की प्रेरणा से परमार्थ निकेतन राज्य के चार धामों में बड़ी संख्या में रुद्राक्ष के पेड़ों का वृक्षारोपण कर पर्यावरण बचाने का संदेश जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास करेगा।
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