टिहरी के भिलंगना क्षेत्र के सीमान्त गांवों में ऐसा विकास हुआ कि गांव के गांव खाली हो गए

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टिहरी के भिलंगना क्षेत्र के सीमान्त गांवों में ऐसा विकास हुआ कि गांव के गांव खाली हो गए और रोजगार की तलाश में बाहर गए नौजवान अब गांव नहीं लौटते तो परिवार को भी ऋषिकेश देहरादून शिफ्ट कर दिया है जिससे गांव में सिर्फ कुछ ही बुजुर्ग लोग बचे है जो आंखे बिछाकर अपनो के लौटने का इंतजार कर रहे है….. पवन नैथानी की एक रिपोर्ट।

टिहरी के भिलंगना क्षेत्र के अधिकतर लोग रोजगार की तलाश में देश विदेश चले गए और वर्षों से गांव नहीं लौटे है यहां तक कि कोविड के समय लौटे लोग भी फिर से काम के लिए बाहर गए और परिवार को भी ऋषिकेश देहरादून शिफ्ट कर दिया है जिससे गांव में सिर्फ कुछ बुजुर्ग लोग ही बचे है….
वहीं पूर्व ब्लाक प्रमुख भिलंगना विजय गुनसोला का कहना है कि टिहरी जिले के घनसाली विधानसभा क्षेत्र से सीमान्त गाँव गननगर, लेणी बुढवां जमोलना,भटवाड़ी सहित करीब एक दर्जन गांव में सबसे अधिक पलायन की मार पड़ी है, तो कुछ गांव तो पूरी तरह खाली हो चुके है….गांव में अब सिर्फ बुजुर्ग लोग ही बचे है जो किसी तरह अपना गुजारा चला रहे है और अपनों के गांव वापस लौटने की आस लगाए बैठे है… वही जब हमने बढ़ते पलायन को लेकर के ग्रामीणों से बात की है तो ग्रामीणों का कहना है कि शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में नौजवानों ने अपने परिवार को भी ऋषिकेश देहरादून शिफ्ट कर दिया है।
अपनी खेल खलियानी के लिए दूर दूर तक मशहूर गांव अब खंडरों में तब्दील हो चुके है….पुस्तेनी मकानों में ताले लटके हुए है तो खेत और खिलयान की कोई देख रेख करने वाला नहीं है….बुजुर्ग लोग किसी तरह अकेले अपनी जिन्दगी काट रहे है और बच्चों के वापस लौटने की राह देख रहे है….वहीं मुख्य विकास अधिकारी मनीष कुमार का कहना है कि सीमान्त गांव के लिए प्लानिंग तैयार कि गई है और मनरेगा स्वंय सहायता समूह के जरिए रोजगार बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।

पहाड़ों से पलायन की मार किसी से छिपी नहीं है और इसको रोकने के लिए कई दावे किए जाते है लेकिन सीमान्त गांवों में विकास के ये दावे सिर्फ हवाई साबित हो रहे है तो विकास को लेकर भी सवाल खड़े रहे है।

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