उत्तराखंड में नकली दवाओं का जाल फैलता जा रहा है या यूं कह लीजिए कि नकली दवा के धंधेबाजों के लिए राज्य सॉफ्ट टारगेट बन गया है। यहां निरंतर ऐसे मामले पकड़ में आ रहे हैं।
खासकर रुड़की और इसके आसपास के क्षेत्र में यह धंधा खूब फूल-फल रहा है। दूसरी तरफ, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन इन धंधेबाजों का नेटवर्क भेद पाने में नाकाम साबित हो रहा है।
हरिद्वार में पकड़ी गई नकली दवा फैक्ट्री के प्रकरण से विभाग की कार्यप्रणाली फिर सवालों के घेरे में आ गई है। सवाल यह भी है कि क्यों विभाग को ऐसे गंभीर प्रकरणों की भनक नहीं लग पाती। क्या विभाग का काम सिर्फ लाइसेंस जारी करना है? यह कौन देखेगा कि जिसे लाइसेंस दिया गया है, वह प्रतिष्ठान मानकों के अनुरूप काम कर भी रहा है या नहीं। इसके अलावा जिस निगरानी को विभाग में विजिलेंस सेल गठित की है, वह क्या कर रहा है। जाहिर है कि औषधि नियंत्रक विभाग का विजिलेंस तंत्र सिर्फ कागजों में सक्रिय है।
विभाग है निष्क्रिय
नकली दवा ही नहीं, प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री रोकने को लेकर भी विभाग निष्क्रिय है। इसी वर्ष सात मई को प्रेमनगर पुलिस ने एक मेडिकल स्टोर से 68 हजार प्रतिबंधित कैप्सूल और 12 हजार गोलियां बरामद की थीं। जिसके बाद विभाग ने कुछ दिन तक मेडिकल स्टोरों की जांच को लेकर सक्रियता दिखाई और फिर मामला ठंडे बस्ते में चला गया। यही नहीं, एक पखवाड़ा पहले पुलिस की ओर से दवा की दुकानों पर की गई छापेमारी को अधिकार क्षेत्र में उलझाने का प्रयास हुआ।
जांच के लिए दिए अभियान शुरू करने के निर्देश
नकली दवा बनाने की फैक्ट्री का मामला सामने आने के बाद औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह जग्गी ने सोमवार से पूरे प्रदेश में दवाओं की जांच के लिए अभियान शुरू करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सभी वरिष्ठ औषधि निरीक्षक और औषधि निरीक्षकों को फील्ड में उतरकर दवाओं की जांच करने के लिए कहा है। दवाओं की जांच में लापरवाही बरतने वाले औषधि निरीक्षकों को निलंबन की चेतावनी दी गई है।
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दवाओं का रैंडम सैंपल लेकर करें जांच
औषधि नियंत्रक ने रविवार देर शाम सभी जिलों के औषधि निरीक्षकों को जारी निर्देश में कहा कि कुछ स्थानों से नकली दवा मिलने की शिकायत मिली है। उन्होंने कहा कि पूरे जिले में छापेमारी अभियान चलाकर सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी स्टोर तक नकली दवा न पहुंच पाए। इसके लिए सभी मेडिकल स्टोर पर बिक रही दवाओं का रैंडम सैंपल लेकर जांच कराई जाए।
उठाए जाएंगे कड़े कदम
औषधि नियंत्रक ने कहा कि दवाओं की जांच में लापरवाही करने वाले औषधि निरीक्षकों के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएंगे। यह भी कहा कि सोमवार से नियमित रूप से इस अभियान की निगरानी की जाएगी। इसके अलावा विभाग की विजिलेंस सेल को भी सक्रिय करने के निर्देश उन्होंने दिए हैं।
The network of fake medicines is spreading in Uttarakhand or we can say that the state has become a soft target for fake medicine traders. Such cases are being detected continuously here.
This business is flourishing especially in Roorkee and its surrounding areas. On the other hand, the Food Safety and Drug Administration is proving unsuccessful in cracking the network of these businessmen.
Due to the case of fake medicine factory caught in Haridwar, the functioning of the department has again come under question. The question is also why the department is not aware of such serious cases. Is the department’s job only to issue licenses? Who will see whether the establishment to which the license has been granted is working as per the standards or not? Apart from this, what is the vigilance cell that has been constituted in the department doing monitoring? Obviously the vigilance system of the Drug Control Department is active only on paper.
department is inactive
The department is inactive in stopping not only the sale of fake medicines but also the sale of banned medicines. On May 7 this year, Premnagar police had recovered 68 thousand banned capsules and 12 thousand pills from a medical store. After which the department showed active investigation of medical stores for a few days and then the matter was put on hold. Not only this, an attempt was made to include the raid conducted by the police on medicine shops within the jurisdiction of the police a fortnight ago.
Instructions given to start investigation campaign
After the case of factory manufacturing fake medicines came to light, Drug Controller Tajbar Singh Jaggi has given instructions to start a campaign to check medicines in the entire state from Monday. He has asked all the senior drug inspectors and drug inspectors to go to the field and check the medicines. Drug inspectors who are negligent in testing medicines have been warned of suspension.
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Take random samples of medicines and test them
In the instructions issued to the drug inspectors of all the districts late on Sunday evening, the Drug Controller said that complaints of fake medicines have been received from some places. He said that raid campaigns should be conducted in the entire district to ensure that fake medicines do not reach any store. For this, random samples of medicines sold at all medical stores should be tested.
Strict steps will be taken
The Drug Controller said that strict action will be taken against drug inspectors who are negligent in testing drugs. It also said that this campaign will be monitored regularly from Monday. Apart from this, he has also given instructions to activate the Vigilance Cell of the department.
Credit by जागरण