हाईकोर्ट नैनीताल ने पॉलीथिन की थैलियों पर उत्तराखंड मे पूर्ण रोक

उत्तराखंड नैनीताल

हाईकोर्ट नैनीताल ने उत्तराखंड में बिक रही पॉलीथिन की थैलियों पर पूर्ण रोक और बाहरी राज्यों से आने वाली पॉलीथिन को विभागों के बीच समन्वय बनाकर बॉर्डर पर रोकने के निर्देश उत्तराखंड सरकार को दिए हैं।

इसके अलावा कोर्ट ने कूड़ा वाहनों पर जीपीएस सिस्टम लगाने और वन पंचायतों के नक्शे चार सप्ताह में अपलोड करने को कहा है।

कहा, यदि यह काम पूरा नहीं होता तो सचिव वन और राजस्व अगली तिथि पर अदालत में पेश होंगे। ये निर्देश मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की पीठ ने राज्य में प्लास्टिक कूड़े पर रोक की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए हैं।

मामले के अनुसार अल्मोड़ा निवासी जितेन्द्र यादव की ओर से जनहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया गया कि प्रदेश में रोक के बावजूद पॉलीथिन की थैलियां बिक रहीं हैं। अन्य राज्यों से पॉलीथिन की थैलियां मंगवाई जा रहीं हैं। सरकार इस पर रोक लगाने में विफल रही है।

कूड़ा वाहनों पर भी अभी तक जीपीएस सिस्टम नहीं लगाए गए हैं। वन पंचायतों के नक्शे भी वेबसाइट पर अपलोड नहीं किए गए हैं। मामले में कोर्ट ने कहा कि प्लास्टिक कूड़ा के निस्तारण के संबंध में 2013 में बनाए गए कानून के लिए छह महीने में नियमावली बनाने और उत्पादों पर क्यूआर कोड लागू करने की व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए गए हैं।

 

The Nainital High Court has given instructions to the Uttarakhand government to completely ban polythene bags being sold in Uttarakhand and to stop polythene bags coming from outside states at the border by coordinating between the departments.

Apart from this, the court has asked to install GPS system on garbage vehicles and upload maps of forest panchayats within four weeks.

Said, if this work is not completed then the Secretary Forest and Revenue will appear in the court on the next date. These instructions were given by the bench of Chief Justice Vipin Sanghi and Justice Manoj Kumar Tiwari on Tuesday while hearing the PIL filed demanding a ban on plastic waste in the state.

According to the case, a PIL has been filed on behalf of Almora resident Jitendra Yadav. The petitioner told the court that despite the ban, polythene bags are being sold in the state. Polythene bags are being procured from other states. The government has failed to stop this.

GPS systems have not been installed on garbage vehicles yet. The maps of forest panchayats have also not been uploaded on the website. In the case, the court said that for the law made in 2013 regarding the disposal of plastic waste, instructions have been given to make rules within six months and make a system to implement QR codes on the products.

Credit by हिंदुस्तान

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