सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिकों ने पहाड़ पर बने मकानों की दरारों और जमीन में आने वाली दरारों के आधार पर खतरे का आकलन किया. रिपोर्ट के साथ एक नक्शा बनाया गया और शासन को सौंपी गई रिपोर्ट में पुनर्वास की सिफारिश की गई।
भूधंसाव के चलते जोशीमठ में लगभग 1200 घर हाई रिस्क में आ गए हैं। पहाड़ पर चौबीस स्थान हैं जहां ये सभी घर बने हैं और रहने के लिहाज से सुरक्षित नहीं हैं। नक्शा हाई रिस्क क्षेत्र में आने वाले भवनों के लिए तैयार किया गया है। सर्वे के बाद सीबीआरआई ने शासन को दी गई रिपोर्ट में पुनर्वास की सिफारिश की है।
जोशीमठ में पिछले वर्ष हुए भूधंसाव के बाद, कई तकनीकी संस्थानों ने विभिन्न स्तरों पर तकनीकी जांच की थी। CCBRI रुड़की के वैज्ञानिकों ने पहाड़ पर बने मकानों की दरारों के आधार पर खतरे का आकलन किया।
मकानों को तीन वर्गों में विभाजित किया गया था
सर्वे के दौरान वैज्ञानिक डॉ. अजय चौरसिया ने बताया कि सभी भवनों में आई दरारों का आकलन अलग-अलग पैरामीटर से किया गया था। साथ ही जमीन के भीतर आई दरारों के लिए भूवैज्ञानिक रिपोर्ट का भी विश्लेषण किया गया। इसके आधार पर भवन तीन वर्गों में विभाजित किए गए। सर्वे में चौबीस हाई रिस्क क्षेत्र बताए गए हैं।
ये क्षेत्र पहाड़ों पर स्थित हैं, जहां घर रहने के लिहाज से सुरक्षित नहीं हैं। मारवाड़ी बाजार, लोवर बाजार, अपर बाजार, मनोहर बाग और सिंघधार हाई रिस्क क्षेत्र में शामिल हैं। जोशीमठ का फिजिकल सर्वे भी हाल ही में किया गया है। उनका कहना था कि लगभग दो हजार घरों में से एक हजार हाई रिस्क वाले हैं। इन भवनों में रह रहे लोगों को पुनर्वास किया जाना चाहिए।
सरकार कोई भी निर्णय लेने से पहले स्थानीय निवासियों का मत जानेंगी। उनकी सहमति से ही आगे की कार्ययोजना तय होगी।- डॉ. रंजीत सिन्हा, सचिव, आपदा प्रबंधन