उत्तराखंड के पंतनगर में आयोजित पंतनगर काव्य महोत्सव में एक कवि ने अपनी कविता पढ़ते समय दिल का दौरा पड़ा और गिर पड़े।
पंतनगर विश्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालय के डा. बीबी सिंह सभागार में पंतनगर काव्य महोत्सव एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था। जिसमें पंतनगर निवासी 68 वर्षीय कवि सुभाष चतुर्वेदी का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। सोमवार को उनका अंतिम संस्कार मथुरा में गमगीन वातावरण में हुआ।
कवि को पंतनगर में कविता पढ़ते समय दिल का दौरा पड़ गया। वहीं गिर जाएँ।
यह रुझान बहुत बड़ी चिंता का विषय बन गया है। कब सब लोग इस पर चर्चा करेंगे? यह देखने के लिए करेंगे। pic.twitter.com/mhaS22ycIF
Narendra Nath Mishra (@iamnarendranath) January 29, 2024 राष्ट्रीय स्वयं सुरक्षा अभियान की ओर से रविवार को भारतीय वीर जवानों के सम्मान में आयोजित पंतनगर काव्य महोत्सव के दौरान कवि सुभाष चतुर्वेदी ने कविता पाठ करना शुरू किया और कहा कि समय सीमा है, सीमा के प्रहरियों को करना है प्रणाम और समय सीमा में ही सनातन का करना है गुणगान। मंच सजा है, अवसर न छोड़ूंगा। लक्ष्य एक है, हम सब एक हैं.. यह रिश्ता न तोड़ूंगा। कविता की यही पंक्तियां उनकी आखिरी पंक्तियां साबित हुईं । कविता पाठ के दौरान ही मंच पर उनको दिल का दौरा पड़ गया। आनन-फानन में आयोजकों ने उन्हें विवि चिकित्सालय पहुंचाया, जहां से उनको जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया गया। जहां डाॅक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
परिजन उसी समय उन्हें उनके पैतृक आवास लंका किला मथुरा (यूपी) लेकर चले गए। वह अपने पीछे एक बेटा और एक बेटी (दोनों विवाहित) को छोड़ गए हैं। बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति के सुभाष चतुर्वेदी को 1974 में पंतनगर विवि में सहायक लेखाकार के पद पर नियुक्ति मिली थी। वर्ष 2014 में उन्होंने विवि से सेवानिवृत्त होकर जवाहर नगर में आवास बना लिया था और विवि परिसर में स्टेट बैंक के पीछे बेटे की सेंटर कैंटीन संचालन में हाथ बंटाने लगे। उनको कविता पाठ का बेहद शौक था, जिसके चलते वह विवि परिसर सहित आसपास के कवि सम्मेलनों में भाग लिया करते थे।
उसकी रामभक्ति इतनी थी कि वह राम जन्मभूमि आंदोलन में जेल भी गए और प्राण प्रतिष्ठा के दिन झा कालोनी मंदिर में भंडारे और लड्डू बंटवाए।