कोटद्वार क्षेत्र में बांस की सुरक्षा के लिए वन विभाग ने सुरक्षा बलों की तैनाती की है। बांस हाथियों की पसंदीदा खाद्य सामग्री है, लेकिन बांस के कल्ले भी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं।
उत्तराखंड के वन क्षेत्र से सटे गांवों में गजराज द्वारा फसलों को बर्बाद करने की खबरें अक्सर आती रहती हैं, लेकिन इस बार मामला गजराज की पसंदीदा खुराक को चुराने का है। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि वन विभाग को इस खुराक की सुरक्षा के लिए सुरक्षा बल तैनात करने की जरूरत पड़ रही है।
यह मामला लैंसडौन वन प्रभाग के कोटद्वार रेंज में स्थित हाथी बहुल क्षेत्र का है। इस रेंज में 26 हजार हेक्टेयर में बांस के पेड़ लगे हुए हैं। बांस हाथियों की पसंदीदा खाद्य सामग्री है, लेकिन बांस के कल्ले भी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। लोग जंगल विभाग की निगाहों से बचकर बांस के कल्ले चुरा रहे हैं। ये कल्ले बांस का सबसे मुलायम हिस्सा होते हैं, जो हाथियों को बहुत स्वादिष्ट लगते हैं और इन्हें पाने के लिए वे बांस के जंगल में आते हैं।
वेदनशील जगहों पर नजर
इनकी सुरक्षा के लिए वन विभाग को सुरक्षा कर्मियों की तैनाती के साथ-साथ चेकिंग अभियान चलाना पड़ रहा है। लैंसडौन वन प्रभाग के डीएफओ एनसी पंत के अनुसार, लोग बांस के कल्ले (प्रकंद) की सब्जी बनाकर खाते हैं, जो बाजार में 200 रुपये प्रति किलो तक बिक सकता है। इसी वजह से लोग जंगल में बांस के कल्ले काटने के लिए पहुंच रहे हैं, जिससे बांस के जंगल को नुकसान होने का खतरा बढ़ गया है।
चूंकि बांस गजराज की पसंदीदा खाद्य सामग्री है, इसलिए इसे बचाने के लिए कोटद्वार रेंज में वन कर्मियों की तैनाती की गई है। इसके अतिरिक्त, लगातार चेकिंग अभियान चलाए जा रहे हैं और संवेदनशील स्थानों पर निगरानी रखी जा रही है।
कल्ले से बनता है नया बांस
वन अनुसंधान के हल्द्वानी रेंज के वन क्षेत्राधिकारी मदन बिष्ट कहते हैं कि एक बांस में कई कल्ला ( प्रकंद) निकलते हैं। इससे आगे चलकर नया बांस तैयार होता है। इसका समय बरसात का एक से डेढ़ महीने का होता है। कल्ला मुलायम होता है, ऐसे में कई लोग सब्जी बनाकर खाते हैं।