राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दो दिवसीय उत्तराखंड दौरे पर हैं। गुरूवार को राष्ट्रपति देहरादून पहुंची इसके बाद शाम को सीएम आवास पर उनके अभिनंदन में एक कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस दौरान राष्ट्रपति के स्वागत में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित हुए।
जिसमें सीएम पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रपति को खास उपहार दिया। साथ ही रात्रि भोज में राष्ट्रपति को पहाड़ी व्यंजनों को परोसा गया।
शुद्ध कंडाली की शॉल, ऐपण के संयोजन से निर्मित स्मृति चिन्ह भेंट की
उत्तराखंड दौरे पर पहली बार आगमन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का सीएम पुष्कर सिंह धामी ने खास अंदाज में स्वागत किया। सीएम ने राष्ट्रपति को खास उपहार भेंट कर इस पल को खास बना दिया। सीएम ने राष्ट्रपति का लोक कला शैली थापे से बनी शुद्ध कंडाली की शॉल पहनाकर स्वागत किया और थापे और ऐपण के संयोजन से निर्मित स्मृति चिन्ह भेंट के रूप में भेंट की। बताया गया कि राष्ट्रपति के उत्तराखंड दौरे को देखते हुए उनको भेंट के रूप में देने के लिए उत्तराखंडी कला संस्कृति और शैली का कुछ अलग उपहार निर्मित कराने के लिए मुख्यमंत्री ने प्रशासन को निर्देश दिए थे। जिसके बाद इस खास उपहार का चयन किया गया।
रात्रि भोज में पहाड़ी व्यंजन भी परोसे गए
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के उत्तराखंड दौरे के पहले दिन राजभवन में उनके सम्मान में रात्रि भोज में पहाड़ी व्यंजन भी परोसे गए। प्राप्त जानकारी के अनुसार राष्ट्रपति के भोज में मंडुए की कचौड़ी, पहाड़ी आलू के गुटके, दाल की पकौड़ी, पहाड़ी तुअर की दाल,लाल भात, तवा परांठा और फुलका, आलू मूली की थिच्वाड़ी, झंगोरे की खीर के साथ मिठाई सिंगोरी परोसी गई।
राष्ट्रपति उत्तराखण्ड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से भी परिचित हुई
इस अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक संध्या में राष्ट्रपति उत्तराखण्ड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से भी परिचित हुई। राष्ट्रपति के समक्ष प्रदेश की लोक संस्कृति का लोक कलाकारों द्वारा प्रदर्शन किया गया। इस दौरान राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने कहा कि देव-भूमि, तपोभूमि और वीर-भूमि उत्तराखंड में आना, मैं अपना सौभाग्य मानती हूं। हिमालय को महाकवि कालिदास ने ‘देवात्मा’ कहा है। राष्ट्रपति के रूप में, हिमालय के आंगन, उत्तराखंड में, आप सब के अतिथि-सत्कार का उपहार प्राप्त करके, मैं स्वयं को कृतार्थ मानती हूं। राष्ट्रपति ने अभिनंदन-समारोह के उत्साह-पूर्ण आयोजन के लिए राज्यपाल, मुख्यमंत्री और उत्तराखंडवासियों को धन्यवाद दिया।
उत्तराखंड के भाई-बहन एक दिव्य परंपरा के वाहक हैं
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी परंपरा में नगाधिराज हिमालय के क्षेत्र में रहने वाले लोगों को देवताओं का वंशज माना गया है। इस प्रकार उत्तराखंड के भाई-बहन एक दिव्य परंपरा के वाहक हैं। आप सबके बीच आकर मैं विशेष प्रसन्नता का अनुभव कर रही हूं। उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता और यहां के लोगों के प्रेमपूर्ण व्यवहार ने स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी से लेकर प्रकृति के सुकुमार कवि, सुमित्रानंदन पंत को मंत्रमुग्ध किया था। इस प्राकृतिक सुंदरता को बचाते हुए ही विकास के मार्ग पर हमें आगे बढ़ना है।
उत्तराखंड में नेचर, एडवेंचर के साथ-साथ मेडिकल टूरिज्म की अपार संभावनाएं
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत माता की धरती के बहुत बड़े भाग को निर्मित और सिंचित करने वाली नदी-माताओं के स्रोत उत्तराखंड में हैं। हिमालय और उत्तराखंड भारत-वासियों की अंतरात्मा में बसे हुए हैं। हमारे ऋषि-मुनि ज्ञान की तलाश में हिमालय की गुफाओं और कंदराओं में आश्रय लेते रहे हैं। यह लोक-मान्यता है कि लक्ष्मण जी के उपचार के लिए इसी क्षेत्र के द्रोण-पर्वत को ‘संजीवनी बूटी’ सहित हनुमान जी ले कर गए थे। इस तरह आध्यात्मिक शांति और शारीरिक उपचार दोनों ही दृष्टियों से उत्तराखंड कल्याण का स्रोत रहा है। आधुनिक चिकित्सा तथा आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्रों में उत्तराखंड निरंतर अपनी परंपराओं को आगे बढ़ाते हुए नए-नए संस्थान भी स्थापित कर रहा है। उत्तराखंड में नेचुरोपैथी के अनेक प्रसिद्ध केंद्र हैं जहां देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग आकर स्वास्थ्य-लाभ करते हैं। उत्तराखंड में नेचर टूरिज्म और एडवेंचर टूरिज्म के साथ-साथ मेडिकल टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं। इससे युवाओं में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।