वीरेन्द्र ने मतगणना के रुझान में जीत से दूर होते हुए मिट्टी उठाकर तिलक लगाया। उसने कहा कि पहली कोशिश में जनता ने इतना प्यार दिया कि अब हरिद्वार कर्मभूमि बन गया है।
हार से कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह रावत निराश नहीं हैं। उनका अभिवादन पिता पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के साथ मौजूद कार्यकर्ताओं ने किया। पार्टी कैंप में मिट्टी से माथे पर तिलक लगाकर उन्होंने कहा कि अब हरिद्वार ही उनकी कर्मभूमि है।
वीरेंद्र रावत ने कहा कि हरिद्वार की जनता ने उनकी पहली कोशिश में जो प्यार दिया है, उसके वह कर्जदार हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि वह अब नगर निकाय से लेकर सभी चुनावों की तैयारियों में जुटेंगे, चुनावी समीक्षा करके राजनीति में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ेंगे।
उन्होंने भारत गंठबंधन के बढ़ते जनाधार और देशव्यापी जीत को अपनी जीत बताया। कहा कि आज देश की जनता ने परिवर्तन करने का मन बनाया, यह सबसे सुखद संयोग है। उसने कहा कि हर पहलवान जो अखाड़े में पहुंचता है, हारने के बाद भी कुश्ती में अगले दांव पेंच करना सीखता है। उसी तरह, वह अपने समर्थकों और मतदाताओं के संघर्ष की निरंतर लड़ाई में भाग लेगा।
कांग्रेस ने देश की जनता का दिल जीत लिया, हालांकि कुछ सीटें खो दीं: श्रीहरीश रावत
श्रीहरिद्वार हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री, ने कहा कि हार के पीछे न प्रबंधन और न कार्यकर्ता दोषी हैं। कांग्रेस ने देश भर में कुछ सीटें खोकर भी जीत हासिल की है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जनादेश स्पष्ट था। बहुत कम मतों में जीत-हार का अंतर होना भी परिवर्तन का सुखद संकेत है। उन्होंने कहा कि जनता ने तानाशाह शासकों के खिलाफ अपना जनादेश दिया और केंद्र में भारत गठबंधन की सरकार बनाने का दावा किया।
हरिद्वार की जनता के प्रति आभार जताते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वीरेंद्र को पहले प्रयास में जो सफलता मिली है वह कांग्रेस के निष्ठावान कार्यकर्ताओं और विचारधारा से जुड़े मतदाताओं की देन है। उन्होंने राजनैतिक गुरु के रूप में अपने पुत्र को हरिद्वार की जनता के हक और हकूक की लड़ाई निरंतर लड़ने के लिए प्रेरित भी किया।
एक बहन ने भाई को मुकाम पर पहुंचाया, दूसरी का प्रयास नहीं आया काम
देशभर में इंडिया गठबंधन ने जहां सत्ता में पहुंचने के करीब सीटें हासिल करने में कामयाब रही। वहीं, उत्तराखंड की कुछ सीटों पर जीत के काफी करीब तक भी पहुंची। देशभर में पार्टी को जीत दिलाने के लिए पार्टी के शीर्ष नेता राहुल गांधी की बहन प्रियंका का प्रयास भी सफल रहा। भाई को मुकाम दिलाने में प्रियंका जैसी बहन ने पूरी ताकत से साथ दिया। वहीं, हरिद्वार सीट पर भाई को जीत दिलाने में बहन अनुपमा रावत असफल रहीं। हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट से विधायक अनुपमा ने भाजपा सरकारी की कैबिनेट में मंत्री रहे स्वामी यतीश्वरानंद को हराकर यह सीट हासिल की थी। भाई वीरेंद्र चुनाव मैदान में उतरे तो सफलता दिलाने में आखिरकार असफल रहीं।
हरिद्वार ग्रामीण सीट पर मतगणना की शुरुआत से लेकर ही कांग्रेस जीत दर्ज चुके भाजपा प्रत्याशी त्रिवेंद्र सिंह रावत से पीछे ही रही। हालत यह रही कि पहले चरण में जहां भाजपा प्रत्याशी को 418 वोट मिले वहीं विधायक बहन के इसी क्षेत्र में वीरेंद्र रावत को मात्र 181 वोट पर संतोष करना पड़ा। बूथ नंबर दो पर 334 वोट भाजपा तो 178 वोट कांग्रेस को मिले। बूथ नंबर 3 पर भाजपा को 463 वोट मिले, वहीं कांग्रेस को 261 वोट मिले। यही क्रम लगातार कई पोलिंग स्टेशन पर देखा गया।
भाजपा प्रत्याशी ने इस विधानसभा में लगातार बढ़त बनाते रहे, लेकिन जनता ने विधायक बहन की मनुहार को खारिज कर दिया। कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र रावत को पोलिंग स्टेशन 11 पर 27 वोट, पोलिंग स्टेशन 34 पर 29 वोट और पोलिंग स्टेशन 81 पर सिर्फ 12 वोट मिले। हरिद्वार ग्रामीण क्षेत्र में कुछ पोलिंग स्टेशनों पर कांग्रेस प्रत्याशी विरेंद्र रावत को विधायक बहन अनुपमा रावत के बराबर भी वोट नहीं मिले।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने कई बूथों पर बहुत बुरा प्रदर्शन किया। निर्वाचन ने दिए गए आंकड़े बताते हैं कि मौजूदा विधायक ने कई पोलिंग स्टेशन पर कोई असर नहीं डाला।