विधानसभा के सभागार में, प्रवर समिति के अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के नेतृत्व में एक बैठक आयोजित हुई, जिसमें उत्तराखंड राज्य के आंदोलनकारी और उनके समर्थनकर्ताओं के लिए राजकीय सेवाओं में आरक्षण बिल पर विचार-विमर्श किया गया।
विधानसभा के पटल से प्रवर समिति के पास पहुंचे राज्य आंदोलनकारी आरक्षण विधेयक में आश्रितों की श्रेणी में तलाकशुदा और परित्यक्ता बेटियों को भी शामिल करने का सदस्यों ने सुझाव दिया है। साथ ही राज्य सरकार की सभी भर्ती परीक्षाओं में राज्य आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने की हिमायत की है।
प्रवर समिति के अध्यक्ष संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की अध्यक्षता में हुई विधानसभा के सभागार में बैठक में उत्तराखंड राज्य के आंदोलनकारियों और उनके समर्थनकर्ताओं के लिए राजकीय सेवाओं में आरक्षण बिल पर विचार-विमर्श हुआ। इस बैठक में सदस्यों ने सुझाव दिए कि प्रस्तावित बिल में संशोधन किया जाए।
बैठक से पहले, संसदीय कार्यमंत्री ने सचिव कार्मिक शैलेश बगौली को बुलाया और बिल के प्रावधान के संबंध में चर्चा की। इस बैठक में, उन्होंने सरकार के प्रावधानों का समर्थन किया, हालांकि समिति ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है। यह कहा जा रहा है कि जल्द ही प्रवर समिति की दूसरी बैठक में सुझावों पर सहमति हो सकती है।
आरक्षण बिल में कुछ सुझाव दिए गए हैं:
1. सभी राज्य की भर्तियों में आंदोलनकारियों और उनके समर्थनकर्ताओं को 10 प्रतिशत का आरक्षण मिलना चाहिए।
2. पूर्व में लगे आंदोलनकारियों और उनके समर्थनकर्ताओं की नौकरी सुरक्षित रखनी चाहिए।
3. आश्रितों की श्रेणी में तलाकशुदा और परित्यक्ता बेटियों को भी शामिल करना चाहिए।