पितृपक्ष की अमावस्या के चलते आज हर की पैड़ी हरिद्वार में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी है। अमावस्या पर स्नान करने का विशेष महत्व होता है। ऐसे में इस पुण्य का लाभ लेने के लिए सुबह-सुबह ही श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाने पहुंचे।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी हरिद्वार के प्राचीन नारायणी शिला मंदिर में पूजा अर्चना करने पहुंचे। (Chief Minister Himanta Biswa Sarma also reached the ancient Narayani Shila temple of Haridwar to offer prayers) यहां पितरों के लिए पूजन करने के बाद उन्होंने कहा कि सनातन कभी खत्म नहीं हो सकता। बताया कि वह हर साल अमावस्या के दिन प्राचीन नारायणी शिला मंदिर आने की कोशिश करते है। आज भी वह पितृ अमावस्या के मौके पर नारायणी शिला मंदिर पहुंचे हैं।
इस दौरान उन्होंने सनातन धर्म पर की जा रही लगातार बयान बाजी पर बोलते हुए कहा कि कुछ लोग चाहते हैं कि सनातन और सनातन से जुड़ी परंपराएं इस देश में खत्म हो जाए,लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि जब वह लोग भी नहीं थे तब से सनातन धर्म था। करीब 5000 साल पूर्व से सनातन धर्म और उससे जुड़ी परंपराएं चलती आ रही है। सनातन धर्म की की परंपराएं आगे भी इसी तरह चलती रहेगी।
वहीं गठबंधन द्वारा की जा रही बयान बाजी पर उन्होंने कहा कि यह जो गठबंधन के लोग सनातन धर्म पर बयानबाजी कर रहे है यह पाप का कार्य कर रहे हैं और इस पाप के लिए भारत के लोग उन्हें 2024 में जवाब देंगे ।
माना जाता है कि यदि किसी को अपने पितरों की मृत्यु कि तिथि ना पता हो तो वह पितृ पक्ष के अंतिम दिन अमावस्या को पितरों को पिंडदान तर्पण कर सकता है। इससे पितरों को मुक्ति और मोक्ष मिलता है।
आज के दिन किया गया दान पुण्य कभी बेकार नहीं जाता है। नारायणी शिला के पंडित मनोज त्रिपाठी (Pandit Manoj Tripathi) ने बताया कि पुराणों में कहा गया है कि जो व्यक्ति श्राद्ध पक्ष में किसी भी वजह से श्राद्ध नहीं कर पाता है तो वह इस पक्ष के आखिरी दिन पितृ विसृजनी अमावस्या को पिंडदान श्राद्ध आदि कर दे तो पितरों को सदगति मिलती है।
यह भी मान्यता है कि हरिद्वार में नारायणी शिला पर अपने सभी भूले बिसरों और पितरों का पिंडदान व तर्पण करने से उन्हें प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है।
हरिद्वार में स्थित नारायणी शिला में भगवान श्री हरि नारायण की कंठ से नाभि तक का हिस्सा है। (Narayani Shila situated in Haridwar contains the part of Lord Shri Hari Narayan from neck to navel) नारायणी शिला के बारे में बताया जाता है कि यह श्री हरिनारायण का हृदय स्थल है। यहां पर आकर आप जो कुछ कहते हैं, वह भगवान को अपने हृदय में सुनाई देता है।
यहां आकर जो भी अपने पितरों के निमित्त कर्म करता है, उसके पितरों को मुक्ति मिलती है।
Whoever comes here and does work for his ancestors, his ancestors get salvation.
Credit by Amar Ujala