उत्तराखंड पुलिस का ‘ऑपरेशन स्माइल’: राज्यभर में 1356 गुमशुदा लोगों को खोज निकला

उत्तराखंड क्राइम

उत्तराखंड पुलिस ने ऑपरेशन स्माइल के तहत पिछले दो महीने में ही राज्यभर में 1356 गुमशुदा लोगों को खोज निकाला. इनमें से ज्यादातर लोगों को उनके परिवार के पास भेज भी दिया गया है.

इनमें अकेले उत्तराखंड के 1282 लोग शामिल हैं. जबकि, 74 बाहरी राज्यों के हैं.

डीजीपी अशोक कुमार ने ऑपरेशन स्माइल से जुड़े अफसरों के साथ समीक्षा बैठक की. इस दौरान डीजीपी ने कहा कि ऑपरेशन स्माइल पीड़ित केंद्रित पुलिस का चेहरा है. बता दें कि डीजीपी की पहल पर यह विशेष अभियान चलवाया जा रहा है. दून में समीक्षा के दौरान डीजीपी ने सभी जिलों में पिछले दो माह में बरामद लोगों के बारे में जानकारी ली. एडीजी-कानून व्यवस्था एपी अंशुमन ने बताया कि दो माह में 265 बच्चे, 488 पुरुष और 603 महिलाओं को खोजा गया. इन 1356 गुमशुदा लोगों में 19 पंजीकृत और 7 अपंजीकृत हैं.

हरिद्वार में सबसे ज्यादा लोग तलाशे आंकड़ों के अनुसार, इन दो महीनों में हरिद्वार में सबसे ज्यादा गुमशुदा लोग तलाशे गए, जिनकी संख्या 385 रही. जबकि, देहरादून में 248, यूएसनगर में 266, नैनीताल में 110, पौड़ी में 85, टिहरी में 88, उत्तरकाशी में चार, चमोली में 40, रुद्रप्रयाग में 12, अल्मोड़ा में 33, पिथौरागढ़ में 32, बागेश्वर में छह, चंपावत में 30 और जीआरपी ने लोगों को बरामद किया.

साहब, अपनों की तलाश में घर-बार ना बेचना पड़ेयूपी निवासी विकास की गुमशुदा मौसेरी बहन को उत्तराखंड पुलिस ने खोज निकाला. बहन की तलाश में जमीन भी बेची.

पांच माह पहले नजीबाबाद यूपी निवासी 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला अचानक घर से कहीं चली गई थी. जिसे पटेलगनर क्षेत्र में पुलिस ने बरामद किया और नारी निकेतन भेज दिया. बाद में उसकी खोजनबीन कर आपरेशन स्माइल टीम परिजनों तक पहुंची और उन्हें बुलाकर महिला को उनके हवाले किया गया.

कोसांबी उत्तर प्रदेश की निवासी नाबालिक लड़की अगस्त को घर से सामान लेने बाजार के लिए निकली. लेकिन वह वापस नहीं आयी. जिसके बाद उसी माह उसे दून में बरामद कर बालिका निकेतन भेजा गया. बाद में पुलिस ने उसके परिजनों का पता लगाकर उसे सौंपा.

आठ माह पहले यूपी बुलंदशहर से लापता बौद्धिक दिव्यांग युवक को पुलिस ने कोटद्वार में लावारिश हालत में बरामद किया. बाद में उसके परिजनों का पता लगाया और उन्हें उनका बेटा सुपूर्द किया गया. उम्मीद छोड़ चुके परिजन बेटे को पाकर मानों दोबारा जिंदा हो उठे हों.

 

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