उत्तराखंड भूमि पर काबिज लोगों को मालिकाना हक

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मंत्रिमंडलीय उपसमिति इस विषय पर दो बार बैठक कर चुकी है, लेकिन बृहस्पतिवार को उपसमिति के अध्यक्ष, कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में हुई तीसरी बैठक में सिर्फ तीन जिलाधिकारियों की रिपोर्ट मिली।

प्रदेश में वर्ग तीन और वर्ग चार की जमीन पर रहने वाले हजारों परिवारों का मालिकाना हक का मामला अभी भी अटका हुआ है। मंत्रिमंडल की उपसमिति ने सभी जिलाधिकारियों से दोनों श्रेणियों की जमीन पर काबिज परिवारों के बारे में रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन दस जिलाधिकारियों ने अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं दी।

मंत्रिमंडलीय उपसमिति दो बार इस संबंध में बैठक कर चुकी है और बृहस्पतिवार को उप समिति के अध्यक्ष कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में हुई तीसरी बैठक में सिर्फ तीन जिलाधिकारियों की रिपोर्ट प्राप्त होने की सूचना दी गई। इस पर मंत्रिमंडलीय उपसमिति ने नाराजगी जाहिर की है। साथ ही सभी जिलाधिकारियों को जल्द से जल्द रिपोर्ट देने को कहा है।

सरकार ने राज्य में बहुत से लोगों को जमीन के पट्टे दिए। जिस पर लोग पिछले कुछ समय से काबिज हैं। यह जमीन वर्ग तीन क की है, जबकि सरकारी जमीन जो खाता खतौनी में लोगों के पास है, वर्ग चार की है। इसके अलावा, बहुत से लोग अवैध रूप से सरकारी भूमि पर कब्जा कर चुके हैं।

सरकार ने मंत्रिमंडल की उप समिति बनाई है जो इस तरह की भूमि पर काबिज लोगों को मालिकाना हक देगी। वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि प्रदेश में वर्ग विभिन्न श्रेणी की जमीनों पर पूर्व में सरकारों ने नियमितीकरण का निर्णय लिया था, जिसकी समयावधि समाप्त हो चुकी है, जिसे बढ़ाने को लेकर अधिकारियों से चर्चा की गई है।

अधिकारियों को इस बारे में रिपोर्ट बनाने के लिए कहा गया है, जो कैबिनेट में पेश की जाएगी। मंत्री ने कहा कि समिति को सभी श्रेणी पर काबिज लोगों की सूचना दी जाएगी, तभी समिति इस बारे में आगे कोई निर्णय ले सकेगी। सरकार का लक्ष्य है कि कई श्रेणी की जमीन पर वर्षों से काबिज लोगों को नियमानुसार जमीन पर अधिकार दिया जाए, जिससे उनको जीवन यापन करने में परेशानी नहीं होगी।

मंत्री ने यह भी कहा कि सभी जिलाधिकारियों के साथ इस संबंध में जनवरी में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक होगी। बैठक में मंत्री रेखा आर्य, प्रमुख सचिव विधि एवं न्याय नितिन शर्मा, सचिव राजस्व सचिन कुर्वे आदि मौजूद रहे।
त्यूनी परगना में वर्ग चार की जमीन के मालिकाना हक के लिए पूर्व में एक्ट में संशोधन किया गया था। जमीन के नियमितीकरण को लेकर समय सीमा 11 फरवरी 2022 को खत्म हो चुकी है। इसके विस्तारीकरण को लेकर मंत्रिमंडल की उप समिति सरकार को अपनी रिपोर्ट भेजेगी।

 

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