लोकसभा चुनाव की मतगणना समाप्त होने के बाद विधायकों और पार्टी नेताओं के बीच विवाद

उत्तराखंड राजनीति

लोकसभा चुनाव की मतगणना समाप्त होने के बाद विधायकों और पार्टी नेताओं के बीच विवाद हुआ।

भाजपा ने अपने दो विधायकों, एक पूर्व विधायक, एक दायित्वधारी और एक कार्यकारिणी सदस्य को देहरादून प्रदेश पार्टी कार्यालय में तलब किया है क्योंकि वे परस्पर विरोधी बयानबाजी से पार्टी को असहज कर रहे हैं। रविवार को राज्य अध्यक्ष महेंद्र भट्ट चारों से बातचीत करेंगे। भट्ट ने दून का आह्वान करने की पुष्टि की है।

टिहरी के विधायक किशोर उपाध्याय ने पत्र में पूर्व विधायक दिनेश धनै पर निशाना साधा है कि उन्होंने टीएचडीसी की एक बैठक में उनकी सिफारिश पर उनके समर्थकों को ठेके दिए जाने का आरोप लगाया है। धनै ने पत्र सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद भी किशोर पर हमला बोला।

दोनों की अदावत ने पार्टी को परेशान कर दिया। भाजपा भी विपक्ष को निशाना साधने का मौका मिला। रानीखेत में विधायक और दायित्वधारी के बीच एक और विवाद हुआ। प्रदेश अध्यक्ष भट्ट को दखल देना पड़ा क्योंकि रानीखेत विधायक प्रमोद नैनवाल और उत्तराखंड राज्य सलाहकार श्रम संविदा बोर्ड के अध्यक्ष कैलाश पंत के बीच विवाद इतना बढ़ गया।

भतरौंजखान के प्रधान संदीप खुल्बे ने इस मामले में विधायक नैनावाल के भाई सतीश नैनावाल और उनके भांजे संदीप बधानी पर हत्या का आरोप लगाया और पुलिस में तहरीर दी। कैलाश पंत ने प्रधान का समर्थन किया। यह एक ही पार्टी के विधायकों और दायित्वधारियों के बीच संघर्ष का कारण बन गया। भाजपा इन दोनों घटनाओं से असहज हो गई। पार्टी ने भी कार्यकारिणी सदस्य खेम सिंह चौहान को बुलाया है।

चौहान पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर पार्टी विरोधी बातें की हैं। प्रदेश मुख्यालय में अब पांचों नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष भट्ट ने बुलाया है। भट्ट ने कहा कि पार्टी इन मुद्दों पर गंभीर है। पांचों नेताओं को देहरादून भेजा गया। मैं हर व्यक्ति से बातचीत करके हर पक्ष को जानूंगा। भाजपा एक अनुशासित पार्टी है, इसलिए सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं से अनुशासन का पालन करने की अपेक्षा की जाती है। संगठन की रीति नीति भी सभी को सिखाई जाएगी।

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