नैनीताल का गांव खतरे में: दरकती जमीन और घरों में दरारें, खौफ में जी रहे ग्रामीण

उत्तराखंड नैनीताल

नैनीताल के पास स्थित खूपी गांव के लोग वास्तव में एक गंभीर स्थिति का सामना कर रहे हैं। लगातार भूस्खलन और घरों में पड़ी दरारें उनके लिए बड़े खतरे का संकेत हैं। हर साल की बारिश इस स्थिति को और भी गंभीर बना देती है, जिससे गांव के लोग असुरक्षा और भय में जीने के लिए मजबूर हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में, स्थानीय प्रशासन और सरकार को जल्द से जल्द मदद पहुंचाने की आवश्यकता है, ताकि गांव के लोग सुरक्षित महसूस कर सकें और उनके जीवन पर मंडरा रहे इस संकट को कम किया जा सके।

खूपी गांव के लोगों की स्थिति वाकई चिंताजनक है। जहाँ आमतौर पर लोग प्रतिकूल परिस्थितियों जैसे बारिश के दौरान अपने घर में सुरक्षित महसूस करते हैं, वहीं खूपी गांव के निवासी अपने घर में पहुंचते ही असुरक्षित महसूस करने लगते हैं। लगातार भूस्खलन और घरों में आई दरारें उन्हें हर पल खतरे का आभास कराती हैं। हर साल की तरह इस बार भी बरसात ने उनके जीवन में भय और अनिश्चितता का माहौल बना दिया है, जिससे उन्हें राहत की जगह खौफ में जीना पड़ रहा है। इस स्थिति में तत्काल हस्तक्षेप और सहायता की आवश्यकता है ताकि इन लोगों को सुरक्षित माहौल मिल सके।

खूपी गांव की यह स्थिति अत्यंत दयनीय और चिंताजनक है। बरसात के दौरान गांव की तलहटी में हो रहे भू-कटाव और घरों में पड़ी दरारों के कारण कई परिवार अपने घरों को छोड़कर बाहर रहने के लिए मजबूर हैं। हालांकि, कुछ परिवार ऐसी स्थिति में भी अपने घरों में रहने को मजबूर हैं, क्योंकि उनके पास कोई और विकल्प नहीं है। यहाँ के लोग अपने घरों को उजड़ते हुए देख रहे हैं, जो उनके लिए मानसिक और भावनात्मक रूप से बेहद कठिन है।

 

कई ग्रामीणों की आखिरी उम्मीद जिला प्रशासन से है, जो उन्हें इस विपदा से बाहर निकाल सके। लेकिन, कुछ लोग इस स्थिति से इतनी बुरी तरह प्रभावित हो चुके हैं कि वे अब हिम्मत हार चुके हैं। ऐसी परिस्थितियों में, प्रशासन और सरकार को तुरंत कदम उठाकर इन परिवारों को राहत पहुंचानी चाहिए और उनके पुनर्वास के लिए ठोस योजना बनानी चाहिए, ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

खूपी गांव वर्ष 2012 से भूस्खलन की त्रासदी का सामना कर रहा है, और पिछले 12 वर्षों में स्थिति और भी गंभीर हो गई है। लगातार हो रहे भू-धंसाव के कारण गांव के कई घरों में बड़ी-बड़ी दरारें उभर चुकी हैं, जो हर साल बरसात के मौसम में और भी बढ़ जाती हैं। इस दौरान, भूस्खलन के कारण कई घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिससे यहां के लोग बेहद असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

 

हर वर्ष, गांव के लोग इन दरारों को भरने की कोशिश करते हैं, लेकिन जैसे ही बरसात आती है, ये दरारें फिर से उभर आती हैं, मानो हर बरसात उनके घावों को फिर से हरा कर देती हो। यह निरंतर संकट उनकी मानसिक और शारीरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती बन गया है। आज भी, खूपी गांव के लोग इसी खौफ के साए में अपनी जिंदगी जीने को मजबूर हैं, और उनके जीवन में स्थायी समाधान की बेहद आवश्यकता है।

बरसात के इस मौसम में खूपी गांव एक बार फिर भूस्खलन की त्रासदी का सामना कर रहा है। गांव की तलहटी में लगातार भू-कटाव हो रहा है, जिससे घरों और रास्तों में बड़ी-बड़ी दरारें उभर रही हैं। इन दरारों के कारण घरों की दीवारें कभी भी टूट सकती हैं, इस भय से कई परिवार अपने घरों को छोड़कर कहीं और शरण ले रहे हैं। हालांकि, वे अपने मवेशियों को वहीं बांधने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि उन्हें मवेशियों के लिए कोई सुरक्षित स्थान नहीं मिल रहा है।

 

यह स्थिति न केवल इंसानों के लिए बल्कि उनके पालतू जानवरों के लिए भी खतरनाक साबित हो रही है। इस आपदा के चलते गांव के लोग एक अनिश्चित और असुरक्षित जीवन जीने को मजबूर हैं, और स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तत्काल राहत और पुनर्वास की आवश्यकता है।

पिछले महीने कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने भी खूपी गांव का निरीक्षण किया था, जहां उन्होंने स्थिति की गंभीरता को समझा। इस निरीक्षण के दौरान गांव के लोगों ने आयुक्त से अपनी सुरक्षा के लिए गुहार लगाई थी। इसके बाद, डीएम वंदना सिंह के निर्देश पर 30 जुलाई को एसडीएम और सिंचाई विभाग की एक टीम ने भी क्षेत्र का निरीक्षण किया।

 

निरीक्षण के पश्चात, डीएम ने सिंचाई विभाग को गांव की सुरक्षा के लिए तुरंत कार्रवाई करने का निर्देश दिया। उन्होंने विभाग से अल्पकालीन और दीर्घकालीन दोनों प्रकार की योजनाएं बनाने को कहा, ताकि गांव को इस संकट से बचाया जा सके और भविष्य में ऐसी स्थिति से निपटने के लिए एक स्थायी समाधान तैयार किया जा सके। यह कदम इस दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, लेकिन इसे समय पर और प्रभावी ढंग से लागू करना अत्यंत आवश्यक है ताकि गांव के लोग राहत की सांस ले सकें।

स्कूल में भी दरारें उभर रहीं

खूपी गांव में भूस्खलन के चलते प्राथमिक पाठशाला में भी दरारें पड़ गईं हैं। बारिश के दौरान दहशत से स्कूल में पढ़ने वाले 12 बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होती है। अध्यापिकाओं का कहना है कि दरारें लगातार बढ़ रही हैं। हर साल दरारों को भरा जा रहा है लेकिन हर बार दरारें उभर आती हैं। यहां लगातार भू-धंसाव हो रहा है।

सिंचाई विभाग ने 30 अल्पकालीन कार्य योजना

सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता डीडी सती ने बताया कि क्षेत्र का निरीक्षण किया गया है। पाइंस गधेरे में तेज बहाव के कारण गांव की तलहटी में दो स्थानों पर भू-कटाव हो रहा है। जिला प्रशासन के निर्देश पर सिंचाई विभाग की ओर से भू-कटाव रोकने के लिए अल्पकालीन योजना के तहत 15 लाख और 14.5 लाख का प्रस्ताव बनाया गया है। बजट मिलते ही क्षेत्र में सुरक्षा कार्य शुरू किए जाएंगे।

 

भूगर्भ वैज्ञानिकों के निरीक्षण के बाद बनाई जाएगी दीर्घकालीन योजना

एसडीएम प्रमोद कुमार ने बताया कि खूपी में निरीक्षण किया गया है। बरसात के दौरान गांव में भूस्खलन और पाइंस गधेरे से भू-कटाव दिख रहा है। जल्द ही खूपी गांव का भूगर्भीय सर्वेक्षण कराया जाएगा। गांव में हो रहे भूस्खलन और पाइंस गधेरे में हो रहे भू-कटाव पर बारीकी से अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसके आधार पर ही क्षेत्र को बचाने के लिए दीर्घकालीन योजना बनाई जाएगी। फिलहाल सिंचाई विभाग की ओर से बनाए गए अल्पकालीन योजना के प्रस्ताव को दैवी आपदा कमेटी के सामने रखा जाएगा। इसके बाद सुरक्षा के लिए बजट जारी कर काम शुरू किया जाएगा।

 

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