मदमहेश्वर 22 और तुंगनाथ मंदिर के कपाट 1 नवंबर में शीतकाल के लिए बंद

उत्तराखंड पर्यटक

मदमहेश्वर मंदिर के कपाट 22 नवंबर और तुंगनाथ मंदिर के कपाट आगामी एक नवंबर को शीतकाल के लिए बंद होंगे।

विजयदशमी के पर्व पर आज मंगलवार को द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर और तुंगनाथ मंदिर के कपाट बंद होने की तिथि घोषित की गई। मदमहेश्वर मंदिर के कपाट 22 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में बैठक कर मुहुर्त निकाला गया।

परंपरानुसार, सुबह आठ बजे से ओंकारेश्वर मंदिर में द्वितीय केदार की विशेष पूजा-अर्चना शुरू की गई। आराध्य का शृंगार, अभिषेक व भोग के साथ ही विद्वान आचार्यगणों पंचांग गणना कर शीतकाल के लिए कपाट बंद करने की तिथि व समय तय किया।

इस दिन बंद होंगे तुंगनाथ मंदिर के कपाट

वहीं, आज ही तुंगनाथ के कपाट बंद करने की तिथि घोषित की गई। तुंगनाथ मंदिर के कपाट आगामी एक नवंबर को बंद होंगे। तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल मर्कटेश्वर मंदिर में भी सुबह आठ बजे से विशेष पूजा-अर्चना शुरू हुई थी। इस वर्ष मंदिर में आराध्य के दर्शनों को अभी तक रिकॉर्ड श्रद्धालु पहुंचे हैं।

 

The doors of Madmaheshwar temple will be closed on 22nd November and the doors of Tunganath temple will be closed on 1st November for winter.

On the occasion of Vijayadashami, the date of closure of the doors of Second Kedar Lord Madmaheshwar and Tunganath Temple was announced on Tuesday. The doors of Madmaheshwar temple will be closed for winter on 22 November. The auspicious time was determined by holding a meeting at Omkareshwar Temple, the winter seat of Ukhimath.

As per tradition, special worship of Second Kedar started at Omkareshwar temple from 8 am. Along with the adornment, anointment and offering of the deity, the learned Acharyas calculated the almanac and decided the date and time of closing the doors for the winter season.

The doors of Tunganath temple will be closed on this day

 

At the same time, today itself the date of closing the doors of Tunganath was announced. The doors of Tungnath temple will be closed on 1st November. Special worship also started from 8 am in the Markateswar Temple, the winter seat of Tunganath. This year, so far a record number of devotees have reached the temple to have darshan of Aaradhya.

 

Credit by Amar Ujala

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